रावण शक्तिशाली था. ये बात सत्य है. लेकिन इतना भी शक्तिशाली नहीं था कि उसे कोई पराजित नहीं कर सकता था. तीनों लोक उसके नाम से कांपते थे. उसे वरदान प्राप्त था. वरदान से मिली शक्तिओं से रावण का अभिमान इस कदर बढ़ता गया कि उसने अत्याचार की सारी सीमाएं ही लांघ दी. इसके बाद स्वयं भगवान विष्णु को श्रीराम के अवतार में अवतरित होना पड़ा और रावण का वध कर संपूर्ण धरा को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया. रावण को सर्वशक्तिमान होने का बहुत घमंड था, लेकिन उसका यह घमंड बालि, सहस्त्रबाहु अर्जुन, राजा बलि और स्वयं भगवान शिव ने उसे सबक पराजित किया था. आइए जानते हैं रावण के पराजित होने की घटनाओं के बारे में.
बालि ने बगल में दबाकर समुद्र के चक्कर लगाए
बालि भी बलशाली था. उसे वरादान प्राप्त था कि सामने वाले व्यक्ति की शक्ति उसमे समाहित हो जाती थी. जिस कारण सामने से उसे कोई पराजित नहीं कर सकता था. एक बार लंकापति रावण बालि से युद्ध करने के लिए पहुंच गया था. बालि रावण से युद्ध नहीं करना चाहता था. लेकिन बार बार ललकराने के कारण बालि को क्रोध आ गया और उसने रावण को बगल में कसके दबा लिया और चार समुद्रों की परिक्रमा कर डाली. माना जाता है कि बालि की गति इतनी तेज थी कि रोज सुबह-सुबह ही चारों समुद्रों की परिक्रमा कर लेता था. बालि परिक्रमा के बाद सूर्य को अघ्र्य अर्पित करता था. जब तक बालि ने परिक्रमा की और सूर्य को अघ्र्य अर्पित किया तब तक रावण को बगल में दबाकर ही रखे रहा और पूजा करता रहा. रावण परेशान हो गया और बचने के अनंत प्रयास किए लेकिन बालि की पकड़ से वह मुक्त न हो सकता. अंत में बालि ने रावण को छोड़ दिया. इसके बाद रावण ने बालि से कभी युद्ध नहीं किया. बाद में प्रभु राम के हाथों बालि का वध हुआ.
रावण को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया
सहस्त्रबाहु अर्जुन बहुत शक्तिशाली था,उसके एक हजार हाथ थे. इसीलिए उसे सहस्त्रबाहु कहा जाता था. एक बार सहस्त्रबाहु अर्जुन ने अपने हजार हाथों से नर्मदा नदी के बहाव को रोक दिया था. बाद में उसने छोड़ दिया. ऐसा उसने कई बार किया. उसके ऐसा करने से एक बार रावण की पूरी सेना ही नर्मदा नदी में बह गई. इससे रावण क्रोधित हो उठा और सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंच गया. सहस्त्रबाहु ने कुछ देर में रावण को पराजित कर उसे बंदी बनाकर जेल में डाल दिया.
बच्चों से हार गया रावण
रावण को अपनी शक्ति पर एक बार फिर घमंड हुआ. रावण ने तय किया वह पाताल लोक पर भी राज करेगा. इस इच्छा को लेकर उसने दैत्यराज बलि को ललकारा. बलि पाताल लोक के राजा थे. बलि ने जब उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया तो रावण राजा बलि से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में जा पहुंचा. बलि के पास पहुंचने से पहले रावण का सामना महल में खेल रहे बच्चों से हो गया. रावण ने बच्चों को डराने की कोशिश की तो बच्चों ने रावण को पकड़कर घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध दिया.
भगवान शिव ऐसे रावण को सिखाया सबक
एक बार रावण ने भगवान शिव को ही चुनौती दे दी. रावण भगवान शिव को ललकारते हुए कैलाश पर्वत पर पहुंच गया. उस भगवान शिव ध्यान साधना में लीन थे. रावण ने उनकी साधन भंग करने की कोशिश और कैलाश पर्वत को उठाने लगा. तब भगवान शिव ने पैर के अंगूठे से ही कैलाश का भार बढ़ा दिया. इस भार को रावण उठा नहीं सका और उसका हाथ पर्वत के नीचे दब गया. हाथ निकालने के लिए रावण ने बहुत जतन किए लेकिन सफल नहीं हो सका. तब रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए उसी समय शिव तांडव स्रोत रचा. शिवजी इस स्रोत से बहुत प्रसन्न हुए. भगवान शिव ने रावण को मुक्त कर दिया. इसके बाद रावण ने शिवजी को अपना गुरु बना लिया और उनकी पूजा करने लगा.
Chanakya Niti: लक्ष्मी जी उस घर को कभी छोड़कर नहीं जाती हैं, जहां होती है ये बात