Padmini Ekadashi 2020: अधिक मास यानि पुरुषोत्तम मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी को बहुत ही विशेष माना गया है. चातुर्मास में अधिक मास का विशेष महत्व है. अधिक मास में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. अधिक मास को पुरुषोत्म मास भी कहते है.
इस मास का नाम भगवान विष्णु के नाम पर ही है. इसलिए पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु को समर्पित है. माना जाता है कि अधिक मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. एकादशी का व्रत भी भगवान विष्णु को समर्पित है. इसलिए अधिक मास में एकादशी व्रत और पूजा का कई गुणा लाभ प्राप्त होता है.
पद्मिनी एकादशी व्रत पारण नियम
पद्मिनी एकादशी का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. पंचांग के अनुसार एकादशी के तिथि के लगते ही व्रत आरंभ हो जाता है. एकादशी व्रत में नियमों का विशेष महत्व बताया गया है. विधि पूर्वक करने से एकादशी के फल में वृद्धि होती है. एकादशी के व्रत में सभी प्रहरों में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी की तिथि को किया जाता है. पंचांग के अनुसार द्वादशी की तिथि 28 सितंबर 2020 को है. इस दिन एकादशी की तिथि का समापन प्रात: 08 बजकर बजे हो रहा है. इसलिए पद्मिनी एकादशी पारणा मुहूर्त 28 सितंबर 2020 को प्रात: 06 बजकर 12 मिनट 41 सेकेंड से प्रात: 08 बजकर 36 मिनट 09 सेकेंड तक है.
एकादशी व्रत के पारण में इन बातों का रखें ध्यान
पद्मिनी एकादशी व्रत का पारण करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए. पारण के बाद दान आदि का कर्म भी करना चाहिए. इस दिन आर्थिक रूप से कमजोर, कुष्ठ रोगी, अनाथ बच्चों की मदद करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. एकादशी का व्रत सुख समृद्धि लाता है. यह व्रत घर की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने में प्रभावशाली भूमिका निभाता है. जिस घर में भगवान विष्णु की पूजा विधि पूर्वक की जाती है वहां पर हमेशा सुख शांति बनी रहती है.
Chanakya Niti: कोई भी नया काम शुरू करने से पहले चाणक्य की इन बातों को जान लें