(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Padmini Ekadashi 2020: पद्मिनी एकादशी व्रत से योग्य संतान की प्राप्ति की कामना होती है पूर्ण, जानें कब है एकादशी
Padmini Ekadashi 2020: एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. अधिक मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी की तिथि को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. योग्य संतान की चाहत रखने वालों के लिए यह एकादशी महत्वपूर्ण मानी गई है.
Padmini Ekadashi 2020: पंचांग के अनुसार अधिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी 27 सितंबर 2020 को पड़ रही है. इस एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. पुरुषोत्तम नाम भगवान विष्णु का भी नाम है. उन्ही के नाम पर इस मास को पुरुषोत्तम मास कहते हैं. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. पद्मिनी एकादशी का व्रत सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है.
पद्मिनी एकादशी की कथा पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में एक राजा हुए जिन्का नाम कार्तवीर्य था. ये बहुत पराक्रमी राजा थे. इनकी कई रानियां थीं लेकिन किसी को संतान नहीं थी. संतान न होने के कारण राजा और रानी हमेशा उदास रहते. एक बार राजा को किसी ने तपस्या करने की सलाह दी. संतान प्राप्ति की कामना से राजा और रानी ने कठोर तपस्या की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. तब एक रानी ने देवी अनुसूया से इसका उपाय पूछा. तो देवी ने उन्हें पुरुषोत्तम मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा. यह एकादशी पद्मिनी एकादशी थी. रानी ने विधि पूर्वक एकादशी का व्रत किया. एकादशी व्रत के पारण यानि समाप्ति पर भगवान प्रकट हुए और वरदान मांगने के लिए कहा. रानी ने भगवान से एक सर्वगुण सम्पन्न और अपराजित पुत्र रत्न की प्रार्थना की. प्रसन्न होकर भगवान ने तथास्तु कहा और अदृश्य हो गए. भगवान के वरदान के कारण रानी ने कुछ समय बाद एक पुत्र को जन्म दिया. जिसका नाम कार्तवीर्य अर्जुन रखा गया ये बालक आगे चलकर सहस्त्रबाहु कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया. कार्तवीर्य अर्जुन कालान्तर में अत्यंत पराक्रमी राजा बना. कार्तवीर्य ने लंकापति रावण को भी युद्ध में परास्त कर बंदी बना लिया था.
एकादशी व्रत का महत्व पद्मिनी एकादशी का व्रत योग्य संतान की चाहत रखने वालों के लिए विशेष माना गया है. एकादशी का व्रत महामात्य महाभारत काल में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर और अर्जुन को बताया था.
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