Malmas 2020 Start Date: पंचांग के अनुसार 18 सितंबर 2020 से अधिक मास शुरू हो चुका है. अधिक मास भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा अधिक मास में करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली कई परेशानियों से मुक्ति मिलती है. इसी कारण अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. क्योंकि भगवान विष्णु को पुरुषोत्तम भी कहा जाता है.
अधिक मास कब समाप्त होगा
पंचांग के अनुसार अधिक मास की शुरूआत 18 सितंबर 2020 से हो चुकी है. अधिक मास का समापन 16 अक्टूबर 2020 होगा.
अधिक मास में व्रत का महत्व
अधिक मास में धर्म के कार्यों को करने के लिए कहा गया है. ऐसी मान्यता है अधिक मास में की गई पूजा का कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है. अधिक मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती है. अधिक मास में कौन कौन से व्रत पड़ रहे हैं आइए जानते हैं.
27 सितंबर 2020: पद्मिनी एकादशी
अधिक मास में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इसलिए अधिक मास में एकादशी का व्रत सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है.
29 सितंबर 2020: प्रदोष व्रत (शुक्ल)
अधिक मास चातुर्मास का ही एक महीना है. चातुर्मास में भगवान शिव की पूजा भी विशेष महत्व रखती है, क्योंकि जब भगवान विष्णु चातुर्मास में पाताल लोक में विश्राम करने चले जाते हैं तो पृथ्वी के सारे काम भगवान शिव देखते हैं. इसलिए अधिक मास में प्रदोष व्रत भगवान शिव का आर्शीवाद दिलाने वाला व्रत है.
5 अक्टूबर 2020: संकष्टी चतुर्थी
संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश जी को समर्पित है. गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम देव माना गया है. अधिक मास में गणेश जी की पूजा सुख समृद्धि में वृद्धि करती है.
13 अक्टूबर 2020: परम एकादशी
अधिक मास की यह दूसरी एकादशी है. अधिक मास में एकादशी का व्रत विशेष माना गया है. पद्मिनी एकादशी के बाद परम एकादशी का व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है.
14 अक्टूबर 2020: प्रदोष व्रत (कृष्ण)
प्रदोष भगवान शिव को समर्पित है. चातुर्मास में ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव माता पार्वती के साथ के पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं. प्रदोष व्रत से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं.
15 अक्टूबर 2020: मासिक शिवरात्रि
अधिक मास में पड़ने वाली शिवरात्रि को विशेष फलदायी माना गया है. इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करने और शिव परिवार की उपासना करने से जीवन के सभी प्रकार के संकट नष्ट हो जाते हैं.
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