(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मार्गशीर्ष यानि अगहन मास में सेहतमंद रहना है तो इस आदत का तुरंत कर दें त्याग, खतरनाक बीमारियां रहेंगी दूर
मार्गशीर्ष यानि अगहन मास आरंभ हो चुका है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक मार्गशीर्ष एक महत्वपूर्ण महीना है. इस महीने किस तरह की जीवन शैली को अपनाना चाहिए, आइए जानते हैं.
Margashirsha Maas 2020: पंचांग के अनुसार बीते 1 दिसंबर से मार्गशीर्ष मास की शुरूआत हो चुकी है. हिंदू धर्म के मुताबिक इस मास का वैज्ञानिक महत्व भी है. मार्गशीर्ष को अगहन मास भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के इस मास में धार्मिक कार्यों के लिए यह मास बहुत ही उत्तम माना गया है.
अगहन मास में सेहत को कैसे ठीक रखा जाए, इस पर भी बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष यानि अगहन मास में पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अगहन मास में पवित्र नदियों में नित्य स्नान करने से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है, वहीं शरीर को भी स्वस्थ्य रखने में मदद मिलती है.
मार्गशीर्ष मास कब समाप्त होगा पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास का समापन 30 दिसंबर को होगा. इसके बाद पौष का मास आरंभ होता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष मास को 9 वां मास माना गया है.
भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय मास है मार्गशीर्ष मार्गशीर्ष मास को भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय मास माना गया है.इस मास की पूर्णिमा तिथि मृगशिरा नक्षत्र वाली होती है, इसलिए इसे मार्गशीर्ष मास कहते हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि मार्गशीर्ष मास उनका ही स्वरुप है. मार्गशीर्ष मास में यमुना स्नान का विशेष महत्व बताया गया है.
गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और गायत्री मंत्र का जाप करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
मार्गशीर्ष मास का वैज्ञानिक महत्व मार्गशीर्ष मास को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यह मास सेहत की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है. अगहन मास में अनुशासित जीवनशैली को अपना कर कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है. इस मास में आसमान साफ हो जाता है, और सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पहुंचती हैं.मार्गशीर्ष मास में सुबह जल्दी उठना चाहिए. इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है. जो कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है.