Ashwin Month 2020: पंचांग के अनुसार धर्म कर्म की दृष्टि से अश्विनी मास का विशेष महत्व बताया गया है. अश्विनी मास की अवधि इस वर्ष 3 सितंबर से 31 अक्टूबर तक होगी. अश्विनी मास में ही अधिकमास रहेगा. पंचांग के अनुसार 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिक मास रहेगा. अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. अश्विनी मास में दान का विशेष महत्व माना गया है. अधिक मास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.
इन कार्यो को नहीं करना चाहिए
अश्विनी मास में पड़ने वाले अधिक मास में तीर्थ यात्रा, नये कार्य का शुभारंभ, गृहप्रवेश, विवाह संबंधी कार्य नहीं किए जाते हैं. अधिकमास में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. यह मास भगवान विष्णु को समर्पित है. इस मास में भगवान विष्णु की कथा सुननी चाहिए.
अश्विन मास में दान का मिलता है पुण्य फल
मान्यता है कि इस मास में किए गए दान का विशेष फल प्राप्त होता है. दान करने से देवतागण प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं और अपना आर्शीवाद प्रदान करते हैं. अश्विन माह के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है. इसमें पितरों तर्पण और पिंडदान किया जाता है. अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि के पर्व में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है.
अश्विनी मास में मन को शुद्ध करें
अश्विनी मास में व्यक्ति को अपने मन को शुद्ध करने का प्रयास करना चाहिए. जीवन में धर्म के महत्व को समझाना चाहिए और हर प्रकार की बुराई और गलत आदतों का त्याग करना चाहिए. यह मास जीवन से नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है. धर्म के कार्यों को करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, जो व्यक्ति के जीवन को बाधाओं से मुक्ति करती है.
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