Hartalika Teej Vrat 2020: हरतालिका तीज का व्रत एक महत्वपूर्ण व्रत है. पौराणिक कथाओं में भी हरतालिका तीज व्रत का वर्णन मिलता है. इस व्रत को भाग्य में वृद्धि करने वाला व्रत माना गया है. पंचांग के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. हरतालिका तीज पर कन्याएं और सौभाग्यवती स्त्रियां व्रत रखती हैं.


हरतालिका तीज व्रत की विधि
हरतालिका तीज का व्रत निराहार और निर्जल रखा जाता है. हरतालिका का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था. यह व्रत स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि करता है. इस व्रत में कठिन नियमों का पालन करता है. व्रत के दौरान जल ग्रहण नहीं किया जाता है. अगले दिन जल ग्रहण किया जाता है. तीज पर रात्रि में भगवान के भजन और कीर्तन करने चाहिए.


पूजा विधि
हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए. नियम के अनुसार हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है. सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है. यह दिन और रात के मिलन का समय होता है. पूजन के लिए मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश प्रतिमा बनाकर पूजा करनी चाहिए. पूजा की दौरान सुहाग की सभी वस्तुओं को पूजा स्थल पर रखा जाता है.


हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त
21 अगस्त को प्रातःकाल मुहूर्त 05 बजकर 53 मिनट 39 सेकेंड से 08 बजकर 29 मिनट 44 सेकेंड तक. प्रदोष काल मुहूर्त 18 बजकर 54 मिनट 04 सेकेंड से 21 बजकर 06 मिनट 06 सेकेंड तक.


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