Panchang, Shubh Tithi: भारतीय संस्कृति, ज्योतिष शास्त्र, मान्य-श्रेष्ठ विधा-परम्परा के अनुसार किसी भी शुभ कार्य, नये निर्माण या नए व्यवसाय अथवा उद्योग, शोरूम, दुकान आदि के प्रारंभ, यहां तक कि सगाई फिर विवाह के दिन के लिए भी शुभ मुहूर्त का आधार देखना अनिवार्य है, वहीं तिथि को भी देखा जाना और उस तिथि के स्वामित्व वाले देवता के बारे में भी जानना महत्वपूर्ण है.


पंडित सुरेश श्रीमाली के अनुसार मुख्य सातों ग्रहों के जैसे सूर्य के स्वामी शिव, चन्द्र के स्वामी दुगा्र, मंगल के स्वामी कार्तिक, बुध के स्वामी विष्णु, गुरू के स्वामी ब्रह्मा, शुक्र के स्वामी इन्द्र तथा शनि के स्वामी काल हैं, वैसे ही हर तिथियों के भी स्वामी देव हैं. शुभ कार्य करने से पहले तिथियों पर भी गौर किया जाता है. आइए जानते हैं किस तिथि पर कौन सा कार्य करना शुभ होता है.


क्या हैं तिथियां ? (What is Tithi)


ज्योतिष शास्त्रानुसार जिसमें चन्द्रमा उदय तथा अस्त होता है उसे तिथि कहते हैं. अमावस्या को सूर्य-चन्द्रमा का संगम होने के पश्चात् जब चन्द्रमा सूर्य से 12 अंश दूर चला जाता है, तब तक प्रतिपदा रहती है. इसी प्रकार चन्द्रमा बढ़ते-बढ़ते जब 180 अंश तक पहुंच जाता है, तब पूर्णिमा होती है. वैसे सभी जानते होंगे कि तिथियां 15 होती हैं- प्रतिपदा, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा ये शुक्ल पक्ष की तिथियां हैं.  कृष्ण पक्ष में भी तिथियों का यही नाम रहता है, केवल अंतिम तिथि पूर्णिमा का नाम अमावस्या होता है.


तिथियों की संज्ञा


इन तिथियों की संज्ञा के बारे में जानना जरूरी होगा. जैसे- नन्दा, भद्रा, जया, रिक्ता, पूर्णा- ये प्रतिपदा से पंचमी पर्यन्त षष्ठी से दशमी पर्यन्त एकादशी से पूर्णमासी पर्यन्त तिथियों की संज्ञा है. यानि प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी नन्दासंज्ञकः द्वितीय, सप्तमी, द्वादशी भद्रासंत्रक तथा तृतीय, अष्टमी, त्रयोदशी जयासंज्ञक तथा चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी रिक्तासंज्ञक, पंचमी, दशमी तथा पूर्णमासी पूर्ण संज्ञक है. ये तिथियां शुक्ल पक्ष में शुभ कार्य के लिए अधम, मध्यम, उत्तम तथा कृष्ण पक्ष में उत्तम, मध्यम, अधम होती हैं. शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अधम, षष्ठी मध्यम, एकादशी उत्तम तथा कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा उत्तम, षष्ठी मध्यम, एकादशी अधम होती हैं.


किस तिथि पर कौन सा कार्य करना होगा शुभ



  • भद्रादि तिथियों में भी मध्यमादि का ज्ञान करना चाहिए. ये मन्दादि तिथियां क्रम से शुक्र, बुध, मंगल, शनि गुरु के दिन पड़ें तो कार्य सिद्ध करने वाली होती हैं, अतः सिद्धा, यह अन्वर्थ नाम है. शुभ तिथियों के बारे में जाना गया है कि गीत, नृत्य, खेती का कार्य, चित्र, उत्सव, गृहादि कर्म तथा वस्त्राभूषण धारण तथा शिल्पादि कर्म अर्थात् थ्ज्ञवी का कृत्य इनमें नन्दातिथि शुभ है.

  • विवाह जनेऊ, यात्रा, भूषण पहनना, थवई का काम, कला सीखना तथा हाथी-घोड़ा तथा रथकर्म- इन सबमें भद्रादि शुभ है. फौज के कार्य, युद्ध कार्य, हथियारों के कार्य, यात्रा का उत्सव या गृहादिक कार्य तथा भैषज्य अर्थात् औषध करना, वाणिज्य कर्म- इन कार्यों में जया तिथि शुभ है.

  • शत्रु का वध करना, बन्धनादि कर्म करना, शस्त्र चलाना, अग्नि लगाना इन कार्यों में रिक्ता तिथि शुभ है यानि मंगल कार्य रिक्ता में कभी न करना चाहिए

  • पूर्णा तिथि में जनेऊ, विवाह, यात्रा, राजगद्दी पर बैठना तथा शान्तिकर्म तथा पौष्टिक कार्य करना शुभ है.


तिथियों के देवता:



  • प्रथमा (प्रतिपदा) - इस दिन अग्निदेव की उपासना से घर में धन-धान्य, आयु, यश, बल, मेधा आदि की वृद्धि होती है.

  • द्वितीया- इस तिथि के स्वामी ब्रह्मा हैं. इस दिन किसी ब्रह्मचारी ब्राह्मण की पूजा कर उन्हें भोजन, वस्त्र आदि का दान देना चाहिए.

  • तृतीया- तृतीया तिथि के स्वामी गौरी तथा कुबेर हैं. इनकी पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है.

  • चतुर्थी- इस तिथि को श्री गणेश की पूजा से विघ्न दूर होते हैं.

  • पंचमी-  नाग देवता पंचमी तिथि के स्वामी हैं. इस दिन नाग पूजा से भय तथा कालसर्प योग का शमन होता है.

  • षष्ठी- इस तिथि के स्वामी कार्तिकेय हैं. इनकी पूजा करने से व्यक्ति मेधावी, संपन्न तथा कीर्तिवान होता है. मंगल की दशा हो या कोर्ट-केस हो, उसके लिए कार्तिकेय की पूजा लाभप्रद रहती है.

  • सप्तमी- इसके स्वामी सूर्य हैं. स्वास्थ्य, विशेषकर आंखों की समसया से पीड़ित व्यक्त्यिों को इनकी पूजा करनी चाहिए.

  • अष्टमी- इस तिथि के स्वामी रूद्र हैं. इस तिथि मे शिव की पूजा करने से कष्ट तथा रोग दिूर होते हैं.

  • नवमी- इस दिन दुर्गा की पूजा करने से यश की वृद्धि होती है.

  • दशमी- इस दिन यमराज की पूजा करने से बाधाएं दूर होती हैं.

  • एकादशी- इस दिन विश्वेदेवा की पूजा से भूमि का लाभ होता है.

  • द्वादशी- इसके स्वामी विष्णु हैं. इनकी पूजा करने से सुखों की प्राप्ति होती है.

  • त्रयोदशी- कामदेव इस तिथि के स्वामी हैं. इनकी पूजा से वैवाहिक सुख मिलता है.

  • चतुर्दशी- प्रत्येक मास की विशेषकर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिव पूजा, रूद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

  • पूर्णिमा- पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना तथा व्रत रखना सुख में वृद्धि करता है.

  • अमावस्या- इस दिन अपने पितरों की शांति-प्रसन्नता के लिए अन्न-वस्त्र का दान देना तथा श्राद्ध करना लाभप्रद होता है.


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