(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Masik Shivratri 2020: 15 अक्टूबर को अधिक मास की अंतिम मासिक शिवरात्रि, जानें महत्व और पूजा विधि
Masik Shivratri 2020: शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को समर्पित है. मासिक शिवरात्रि के दिन शिव भक्त व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करते हैं. यह व्रत सभी प्रकार के कष्टों को दूर कर जीवन में सुख समृद्धि लाता है.
Masik Shivratri 2020: पंचांग के अनुसार मासिक शिवरात्रि का पर्व 15 अक्टूबर 2020 को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की तिथि को है. विशेष बात ये है कि यह मासिक शिवरात्रि अधिक मास की अंतिम मासिक शिवरात्रि है. इस कारण इसका विशेष महत्व है.
चातुर्मास और अधिक मास में शिव पूजा का महत्व चातुर्मास में अधिक मास चल रहा है. चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम करने चले जाते हैं. ऐसे में भगवान विष्णु चातुर्मास में पृथ्वी की बागडोर भगवान शिव के हाथों में सौंप देते हैं. ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास में भगवान शिव, माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं. अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है, यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित है. ऐसा मान्यता है कि अधिक मास में भगवान विष्णु की पूजा करने वाले भक्तों को भी शिव जी अपना विशेष आर्शीवाद प्रदान करते हैं.
मासिक शिवरात्रि का व्रत दूर करता है कष्ट मासिक शिवरात्रि की पूजा और व्रत जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है. जीवन में सुख समृद्धि आती है और धन की कमी दूर होती है. शिवरात्रि का व्रत रखने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है, कलह और तनाव दूर होती है. कुंंवारी कन्याओं की मनचाहे वर की मनोकामना पूर्ण होती है. यह व्रत रोगों से भी मुक्ति दिलाने में मदद करता है. मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. यह व्रत अवगुणों को त्यागने की शक्ति प्रदान करता है.
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त चतुर्दशी तिथि का आरंभ 15 अक्टूबर 2020 को प्रात: 8 बजकर 33 मिनट पर हो रहा है. पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि का समापन 16 अक्टूबर 2020 को प्रात: 4 बजकर 52 मिनट पर होगा.
पूजा का समय पंचांग के अनुसार पूजा का समय 15 अक्टूबर को रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 16 सितंबर को प्रात:12 बजकर 32 तक है.
पूजा की विधि इस दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान शिव परिवार की पूजा करें. शिव जी के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश, कार्तिकेय और नंदी की विधि पूर्वक पूजा करें. शिव जी का अभिषेक करें. अभिषेक के दौरान भगवान शिव की प्रिय चीजों का भोग लगाएं और शिव चालीसा और शिव मंत्रों का जाप करें.
Chanakya Niti: सुख, शांति और समृद्धि ऐसे व्यक्तिओं को कभी छोड़कर नहीं जाती, जानिए आज की चाणक्य नीति