Pitru Paksha 2020: 14 सितंबर 2020 को पितृ पक्ष का द्वादशी श्राद्ध है. पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है और उनका आर्शीवाद प्राप्त किया जाता है. पितृ पक्ष में पितरों को याद का उनका उभार व्यक्त किया जाता है. पितरों की कृपा प्राप्त होने से जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है. मान्यता है कि पितृ पक्ष पूर्वज धरती पर आते हैं और आभार प्रकट करने वालों को अपना आर्शीवाद और अनादर करने वालों को श्राप देकर जाते हैं.


पितृ पक्ष में द्वादशी श्राद्ध का महत्व
पितृपक्ष में प्रत्येक तिथि का अपना महत्व और उद्देश्य बताया गया है. इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु द्वादशी तिथि को हुई है. एकादशी तिथि के बाद इस श्राद्ध की तिथि आती है. इस दिन एकादशी व्रत का पारण किया जाता है. द्वादशी श्राद्ध में दान का विशेष महत्व बताया गया है.


द्वादशी श्राद्ध से लाभ
पितृ पक्ष में द्वादशी तिथि के श्राद्ध से राष्ट्र का कल्याण और अन्न की मात्रा में वृद्धि होती है. द्वादशी के श्राद्ध से संतति, बुद्धि, धारणाशक्ति, स्वतंत्रता, उत्तम पुष्टि, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.


राहुकाल में न करें श्राद्ध
पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म में नियमों का विशेष महत्व है. इसलिए श्राद्ध कर्म सदैव शुभ मुहूर्त में ही कराना चाहिए. राहु काल में श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए. 14 सितंबर 2020 को पंचांग के अनुसार राहु काल का समय प्रात: 07 बजकर 38 मिनट से प्रात: 09 बजकर 11 मिनट तक है.


श्राद्ध कर्म में इन बातों का ध्यान रखें
श्राद्ध प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद दान अवश्य दें. श्राद्ध कर्ता को हर प्रकार की बुराई से दूर रहकर पितरों को याद करना चाहिए और गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए. इस दिन प्रकृति और जानवरों के हित के बारे में सोचना चाहिए और उनके सरंक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए.


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