Bhaum Pradosh Vrat: 9 फरवरी मंगलवार को माघ मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि है. इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. प्रदोष व्रत में सायंकाल की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. क्योंकि शाम के समय को ही प्रदोष काल जाता है. मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव त्रयोदशी तिथि को शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं. इसीलिए प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. एक माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं. एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत आता है.
प्रदोष व्रत का महत्व
माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. धर्म कर्म की दृष्टि से माघ का महीना बहुत ही महत्वपूण है. इसलिए इस मास में शिव पूजा का महत्व बड़ जाता है. ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत को रखने और शिव परिवार की पूजा करने से जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं और हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है.
दांपत्य जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं
प्रदोष व्रत पर की जाने वाली पूजा दांपत्य जीवन से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करता है. दांपत्य जीवन में तनाव, कलह आदि की समस्या को भी यह व्रत दूर करने वाला माना गया है.
मंगल ग्रह की अशुभता को दूर करता है
भौम प्रदोष व्रत मंगल ग्रह की अशुभता को भी दूर करने में सहायक है. जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ है या फिर मंगल ग्रह के कारण किसी भी तरह की परेशानी बनी हुई तो इस दिन शिव जी की पूजा से इसकी अशुभता में कमी लाई जा सकती है.
भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि का आरंभ: 9 फरवरी को प्रात: 03 बजकर 19 मिनट से.
त्रयोदशी तिथि समापन: 10 फरवरी प्रात: 02 बजकर 05 मिनट पर.
प्रदोष व्रत पूजा शुभ मुहूर्त: 9 फरवरी शाम 06 बजकर 03 मिनट से रात्रि 08 बजकर 40 मिनट तक.
मन का कारक चंद्रमा जब अशुभ होता है तो देता है मानसिक तनाव और भ्रम की स्थिति बनती है