Papankusha Ekadashi 2020: जानें किस दिन पड़ेगा पापांकुशा एकादशी व्रत, ये है व्रत कथा और महत्व
कहा जाता है कि इस एकादशी में भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है. और जो भी इस व्रत को करता है उसे तप के समान फल की प्राप्ति होती है. चलिए बताते हैं आपको पापांकुशा एकादशी का महत्व और विधि
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व है. हर महीने दो बार एकादशी आती है. और अश्विनी शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी ( Papankusha Ekadashi) कहा जाता है. जो इस बार 27 अक्टूबर को है. कहा जाता है कि इस एकादशी में भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है. और जो भी इस व्रत को करता है उसे तप के समान फल की प्राप्ति होती है. चलिए बताते हैं आपको पापांकुशा एकादशी का महत्व और विधि
पापांकुशा एकादशी का महत्व
कहते हैं यह व्रत जो करता है उसे तो इसका फल मिलता ही है साथ ही दूसरों लोगों को भी इसका विशेष फल प्राप्त होता है. एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है और पापांकुशा एकादशी पर विष्णु के पद्मनाभ स्वरुप की पूजा की जाती है। जो व्यक्ति के मन को पवित्र करता है. ऐसा माना जाता है कि पापांकुशा एकादशी के व्रत से माता, पिता की पीढियों को भी पाप से मुक्ति मिल जाती है.
पापांकुशा व्रत की कथा
कहते हैं एक बार विध्यांचल पर्वत पर एक बहुत ही क्रूर शिकारी क्रोधना रहता था. चूंकि उसने जीवन भर बुरे कर्म ही किए इसीलिए अंतिम दिनों में यमराज ने अपने एक दूत के साथ उसे लेने के लिए भेजा। लेकिन क्रोधना को मौत से बहुत डर लगता था. इसीलिए वह अंगारा नाम के ऋषि के पास पहुंचा और मदद की अपील की. इस पर ऋषि ने उसे पापांकुशा एकादशी के महत्व के बारे में बताया और इस व्रत को रखने की बात कही. ऋषि बताते हैं कि क्रोध ना करते हुए पूरी श्रद्धा के साथ अगर विष्णु की आराधना कर ये व्रत रखा जाए तो समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मुक्ति मिलती है.
इन बातों का रखें खास ख्याल
इस एकादशी के दिन कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए, इससे उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
- पापांकुशा एकादशी के दिन किसी पर क्रोध ना करें.
- व्रत से पहले दिन रात को सात्विक भोजन करें.
- रात के समय व्रत का पारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है
- मौन रहकर भगवद स्मरण का करें.
- इस दिन व्रती व व्रती के परिवार को चावल का सेवन नहीं करना चाहिए