Papankusha Ekadashi 2021: कल है पापाकुंशा एकादशी व्रत, सुनें व्रत कथा मिलेगी यमलोक की यातनाओं से मुक्ति
Papankusha Ekadashi : पापांकुशा एकादशी का नाम पाप रुपी हाथी को पुण्यरुपी व्रत के अंकुश से भेदने के कारण इस व्रत का नाम पापांकुशा एकादशी पड़ा.
Papankusha Ekadashi : आश्विन मास (Ashwin Month Ekadashi) के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) तिथि को पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) कहते हैं. पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi) कल यानी 16 अक्टूबर (16 October Papankusha Ekadashi) को रखा जाएगा. इसमें भगवान पद्मनाभ की पूजा (Padamnabh Puja) का विधान है. इस व्रत को करने एवं भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को उनकी कृपा मिलती है.
मान्यता है कि भगवान विष्णु की कृपा से शारीरिक और मानसिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. पुराणों में पापांकुशा एकादशी का व्रत करने वाले को अनेकों अश्वमेघ यज्ञों और सूर्य यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्त होने की बात कही गई है. कहा जाता है कि पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) का व्रत करने से व्यक्ति के माता-पिता और मित्र की पीढ़ियों तक को मुक्ति मिल जाती है. धर्म ग्रंथों के अनुसार, व्रत का पालन करने से यमलोक में यातनाएं नहीं सहनी पड़ती.
पापांकुशा एकादशी व्रत मुहूर्त:
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 15 अक्टूबर शुक्रवार शाम को 6:03 पर शुरू होगी और 16 अक्टूबर शनिवार शाम 05 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी.
सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि 16 अक्टूबर शनिवार को पड़ रही है, ऐसे में पापांकुशा एकादशी का व्रत 16 अक्टूबर शनिवार को रखा जाएगा. पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण 17 अक्टूबर रविवार 06 बजकर 28 मिनट से लेकर इसी दिन सुबह 08 बजकर 45 मिनट तक किया जाएगा.
पापाकुंशा एकादशी व्रत कथा
एक समय विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक बहेलिया रहाता था. जोकि बहुत ही क्रूर और कपटी था. उसके अंत समय में यमराज के दूतों ने जब उस दुष्ट बहेलिया को कल उसके जीवन के अंतिम दिन होने की बात बताई. तो वह घबरा गया और अपने प्राण को बचाने के लिए महर्षि अंगिरा के पास मदद के लिए गया. तब महर्षि ने उसे पापों से मुक्ति दिलाने वाले पापाकुंशा एकादशी का व्रत करने को कहा. बहेलिया ने वैसा ही किया. इससे उसके सारे पाप नष्ट हो गए और भगवान विष्णु की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.
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