हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है. हर माह में दो एकादशी पड़ती हैं और सभी का महत्व अलग होता है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार पापमोचनी एकादशी 28 मार्च की पड़ रही है. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. 


जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि पापमोचनी एकादशी उस सभी पापों से छुटकारा पाने के लिए होती हैं, जो किसी मे अपने जीवनकाल में किए होते हैं. पापमोचनी एकादशी पापों से मुक्ति पाने वाली एकादशी है. इस दिन नियमानुसार व्रत रखने से भक्तों को विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आइए जानते हैं पापमोचनी एकादशी की तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में. 


पापमोचनी एकादशी 2022 तिथि 


पापमोचनी एकादशी तिथि की शुरुआत – मार्च 27, 2022 को शाम 06:04 बजे से होगी. 


पापमोचनी एकादशी तिथि का समापन – मार्च 28, 2022 को शाम 04:15 बजे होगा


व्रत पारण का समय


पापमोचनी एकादशी के व्रत का पारण 29 मार्च – सुबह 06:15 से सुबह 08:43 तक किया जाएगा. 


पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – दोपहर 02:38


पापमोचनी एकादशी पूजन विधि


इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा स्थल पर जाकर व्रत का  संकल्प लें. इसके बाद एक वेदी बना कर उस पर पूजन करने से पहले 7 प्रकार के अनाज रखें. इसमें उड़द दाल, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा आदि रखें. 


वहीं, वेदी के ऊपर कलश की स्थापना करें और इसे आम या अशोक के 5 पत्तों से सजाएं.इसके बाद इस वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें. और फिर पीले फूल, मौसमी फल और तुलसी भगवान को अर्पित करें. 


फिर पापमोचनी एकादशी की कथा सुनें. कम से कम 108 बार तो ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप अवश्य करें. ज्यादा संभव हो तो  ज्यादा बार भी कर सकते हैं. धूप और दीप से विष्णु जी की आरती करें. और भगवान विष्णु को पीले चीजों का भोग लगाएं. बता दें कि वैसे भगवान श्री हरि को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग ही लगाया जाता है. भोग में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें. तुलसी श्री हरि को बेहद प्रिय है. बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते. 


इस दिन जरूरतमंदों को भोजन या जरूरी समान दान करें. व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें. अगले दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें. स्नान के बाद किसी ब्रह्माण को भोजन कराएं और फिर शुभ मुहूर्त में व्रत खोलें. बता दें कि एकादशी के व्रत में फलों का सेवन ही किया जाता है. 


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