Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल 2024 को रखा जाएगा. इस दिन शुक्रवार मां लक्ष्मी का दिन है. ऐसे में पापमोचनी एकादशी पर भगवान विष्णु और उनकी अर्धांगिनी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का खास अवसर है.
पुराणों में कहा गया है कि एकादशी व्रत के फलस्वरूप व्यक्ति के जाने-अनजाने में किए पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे समस्त सुख-सुविधाओं का लाभ मिलता है. मृत्यु के बाद वह जन्म-मरण के बंधन से भी मुक्त हो जाता है. पापमोचनी एकादशी की कथा में भी यही वर्णन है. जानें ये कथा.
पापमोचनी एकादशी व्रत कथा
पुराणों के अनुसार स्वंय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पापमोचनी एकादशी व्रत कथा का महत्व बताया था. कथा के अनुसार चैत्ररथ नामक एक बहुत सुंदर वन था. जहां अप्सरायें विहार किया करती थीं. इसी वन में मेधावी नाम के ऋषि तपस्या करते थे. मेधावी ऋषि शिव भक्त थे लेकिन अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव की अनुचरी थी, इसलिए एक समय कामदेव ने मेधावी ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए मंजू घोषा नामक अप्सरा को भेजा.
मेधावी ऋषि ने किया पाप
मंजूघोषा नृत्य, गायन और सौंदर्य से मेधावी मुनि की तपस्या में बाधा डालने में सफल हुई. अप्सरा की सुंदरता पर ऋषि मोहित हो गए और सालों तक उसके साथ विलास में समय व्यतीत किया. काफी समय बीत जाने के बाद मंजूघोषा ने वापस जाने के लिए ऋषि से अनुमति मांगी, तब मेधावी ऋषि को अपनी भूल और तपस्या भंग होने का आत्मज्ञान हुआ. उन्होंने अपने तपोबल से ये जाना कि कैसे मंजूघोषा ने उनकी तपस्या भंग की थी.
सुंदरी और ऋषि ने ऐसे पाई पापों से मुक्ति
अप्सरा के इस कृत्य पर ऋषि क्रोधित हुए और उन्होंने मंजूघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया। इसके बाद अप्सरा ऋषि के पैरों में गिर पड़ी और श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा. मंजूघोषा के बार-बार विनती करने पर मेधावी ऋषि ने उसे श्राप से मुक्ति पाने के लिए बताया कि पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से तुम्हारे समस्त पापों का नाश हो जाएगा और तुम पुन: अपने पूर्व रूप में आ जाओगी. मेधावी ऋषि ने भी पाप किया था ऐसे में उनके सारे पुण्य नष्ट हो गए.
प्रायश्चित के लिए ऋषि मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया. इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का व्रत करके अप्सरा मंजूघोषा श्राप से मुक्त होकर पुन: स्वर्ग में अप्सरा बनकर लौट गई और और मेधावी ऋषि के भी सभी पाप खत्म हो गए.
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