Parivartini Ekadashi 2021 Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार आज भगवान विष्णु करवट बदलते हैं इस लिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं. इसे वामन एकादशी, पार्श्व एकादशी या जयंती एकादशी भी कहा जाता है. मान्यता है कि परिवर्तिनी एकादशी व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करें और इस दौरान यह व्रत कथा पढ़ें तो भक्त को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसे हजार अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है.
वामन एकादशी व्रत कथा:
धर्म शास्त्रों के अनुसार, एक बार युधिष्ठिर भगवान कृष्ण से भाद्रपद शुक्ल एकादशी के नाम, विधि और इसके माहात्म्य के बार में बताने का आग्रह किया. तब भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि इस पुण्य, स्वर्ग और मोक्ष को देने वाली तथा सब पापों का नाश करने वाली, उत्तम वामन एकादशी का माहात्म्य मैं तुमसे कहता हूं तुम ध्यानपूर्वक सुनो.
त्रेतायुग में बलि नामक दैत्य मेरा परम भक्त था. इंद्र से द्वेष के कारण बलि ने इंद्रलोक तथा सभी देवताओं को जीत लिया. इससे छुटकारा पाने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर भगवान का पूजन और स्तुति किया. तब मैंने वामन रूप धारण करके पांचवां अवतार लिया और राजा बलि को जीत लिया. तब राजा युधिष्ठिर बोले कि हे जनार्दन! आपने वामन रूप धारण करके उस महाबली दैत्य को किस प्रकार जीता?
तब श्रीकृष्ण ने कहा. मैंने (वामन रूपधारी ब्रह्मचारी) बलि से तीन पग भूमि की याचना की. तब राजा बलि ने इसे तुच्छ याचना समझकर तीन पग भूमि का संकल्प मुझको दे दिया. तब मैंने एक पग से पृथ्वी लोक और दूसरे पग से स्वर्गलोक को नाप लिया. उसके बाद मैंने पूंछा कि तीसरा पग कहां रखूं? तब बलि ने अपना सिर झुका लिया और मैंने अपना पैर उसके मस्तक पर रख दिया. इससे वह पाताल को चला गया. उसकी इस भक्ति को देखकर मैंने उसके साथ रहने का वरदान दिया. बलि के पुत्र विरोचन के कहने पर भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन बलि के आश्रम पर मेरी मूर्ति स्थापित की गई.
भगवान कृष्ण ने कहा कि जो विधिपूर्वक इस एकादशी का व्रत करते हैं, वे सब पापों से मुक्त होकर स्वर्ग में जाकर चंद्रमा के समान प्रकाशित होते हैं और यश पाते हैं.जो पापनाशक इस कथा को पढ़ते या सुनते हैं, उनको हजार अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है.