Parivartini Ekadashi 2023 Date: 25 सितंबर 2023 को परिवर्तिनी एकादशी है. ये व्रत अमंगल को दूर कर घर, परिवार के लोगों को खुशियां प्रदान करता है. परिवर्तिनी एकादशी व्रत के प्रभवा से जातक के कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं और अंत में उसे बैकुंठ लोक में स्थान प्राप्त होता है.


पौराणिक मान्यता के अनुसार चार माह तक श्रीहरि का शयनकाल चलता है और परिवर्तिनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में करवट लेते हैं. कहते हैं इस दिन एकादशी की व्रत कथा सुनने मात्र से व्यक्ति का जीवन भी दुख से सुखी जिंदगी की ओर करवट लेता है. आइए जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी व्रत की कथा.



परिवर्तिनी एकादशी कथा (Parivartini Ekadashi Katha)


परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा का विधान है. भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. कथा के अनुसार त्रेतायुग युग में दैत्यराज बलि भगवान विष्णु का परम भक्त था. असुरों के राजा बलि ने देवताओं को युद्ध में पराजित कर दिया था और स्वर्ग अपने कब्जे में ले लिया था. समस्त देवी-देवता उसके अत्याचारों से मुक्ति के लिए विष्णु जी के पास पहुंचे.


बलि से मांगी 3 पग भूमि


भगवान विष्णु ने देवताओं को बलि के डर से छुटकारा दिलाने का आश्वासन दिया और राजा बलि के समक्ष वामन (ब्राह्मण) का रूप धरकर पहुंच गए. राजा बलि दान पुण्य करता रहता था. जब विष्णु जी ने बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी तो उसने वामन देव को भूमि देने का वचन दिया. वामन देव ने अपना विकारल रूप धारण कर एक पग स्वर्ग नाप लिया, दूसरे से धरती, तीसरे कदम के लिए जब कोई जगह नहीं बची तो राजा बलि ने अपना सिर झुका दिया और बोले की तीसरा कदम मेरे सिर पर रख दें. 


विष्णु जी ने बलि को बनाया पाताल का राजा


वामन देव राजा बलि की भक्ति और वचनबद्धता से बहुत प्रसन्न हुए. भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन देव ने फलस्वरूप राजा बलि को पाताल लोक दे दिया. बलि ने विष्णु जी से कहा कि वह उनके साथ पाताल लोक में चलकर उसे उनकी सेवा का मौका दें. विष्णु जी ने कहा कि वह साल में चार माह पाताल लोक में उसके यहां निवास करें. इसके बाद वामन देव ने जैसे ही तीसरा पग बलि के सिर पर रखा वो पाताल लोक चला गया. कहते हैं इस व्रत को करने से दुर्भाग्य दूर रहता है.


परिवर्तिनी एकादशी 2023 मुहूर्त (Parivartini Ekadashi 2023 Muhurat)



  • विष्णु जी की पूजा का समय - सुबह 09.12 - सुबह 10.42 (25 सितंबर 2023)

  • परिवर्तिनी एकादशी व्रत पारण - दोपहर 01.25 - दोपहर 03.49 (26 सितंबर 2023)


Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि कब से ? इस बार किस वाहन पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.