Parshuram Jayanti 2020: परशुराम जी को भगवान विष्णुजी का छठा अवतार माना गया है. वे सात चिरंजीवी में एक हैं, इस दिन अक्षय तृतीया का पर्व भी है. भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था. परशुरामजी का वर्णन रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण में भी आता है. ऐसा कहा जाता है कि भारत के अधिकांश ग्राम परशुराम जी ने ही बसाए थे.


इन स्थानों पर की जाती है विशेष पूजा


पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम ने तीर चला कर गुजरात से लेकर केरला तक समुद्र को पीछे धकेल दिया. इससे नई भूमि का निर्माण हुआ. इसी कारण कोंकण, गोवा और केरला मे भगवान परशुराम की विशेष पूजा की जाती है. वे अपने गुरुजनों और माता पिता की आज्ञा का सदैव पालन किया करते थे. वे नियम और अनुशासन को पसंद करते थे.


प्राकृतिक सौंदर्य के महत्व को जानते थे


उनका भाव इस जीव सृष्टि को इसके प्राकृतिक सौंदर्य सहित जीवन्त बनाये रखना था. इसकारण वे प्रकृति प्रेमी और सरंक्षक थे. एक वे चाहते थे कि यह सारी सृष्टि पशु पक्षियों, वृक्षों, फल फूल औए समूची प्रकृति के लिए जीवन्त रहे. उन्हें भार्गव के नाम से भी जाना जाता है. वे पशु-पक्षियों तक की भाषा समझते थे और उनसे बात कर सकते थे. यहां तक कि कई खूंखार जानवर भी उनके छूने मात्र से उनके मित्र बन जाते थे. उन्होंने बचपन में कई विद्याओं को सीख लिया था.


गणेश जी बनाया एक दंत


भगवान परशुराम बहुत जल्दी क्रोध आ जाता है. इसी कारण एक बार जब उनका सामना भगवान गणेश जी से हुया तो उन्होने रोक दिया इससे वे नाराज़ हो गए. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो भगवान गणेश जी उन्हें शिव से मुलाकात करने के लिए रोक दिया. इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया. इसके बाद से ही भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगे.


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