हर धर्म का अपना अलग महत्व है. पारसी समुदाय में भी इसी तरह कई फेस्टिवल मनाए जाते हैं. आज यानी 21 मार्च को देशभर में पारसी न्यू ईयर नवरोज मनाया जा रहा है. इस दिन को आस्था के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि नवरोज दो पारसी शब्द नव और रोज से मिलकर बना है. इसका अर्थ होता है नया दिन. आज के पारसी समुदाय में नए साल की शुरुआत हो जाती है.
बता दें नवरोज को नौरोज़, जमशेदी नवरोज, पतेती जैसे नामों भी जाना जाता है. आइए जानते हैं क्यों मनाया जाता है नवरोज और किस तरह इस पर्व को मनाते हैं.
नवरोज मनाने के कारण
पारसी समुदाय के लोग पिछले तीन हजार साल से ये पर्व धूम-धाम से मना रहा है. यह उत्सव फारस के राजा जमशेद की याद में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि योद्धा जमशेद ने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी. साथ ही, इस दिन उन्होंने सिंहासन भी ग्रहण किया था. तब से ही नवरोज मनाया जाता है. ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार, नवरोज वसंत ऋतु में मनाया जाता है.
यूं सेलिब्रेट करते हैं नवरोज
इस दिन पारसी लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद कई तरह के व्यंजन और डिश आदि बनाते हैं. ये व्यंजन वे अपने दोस्तों और करीबियों के बीच बांट देते हैं. साथ ही गिफ्ट्स देते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन राजा जमशेद की पूजा से घर में हमेशा खुशहाली बनी रहती है.
नवरोज के दिन पारसी मंदिर में विशेष प्रार्थना सभाएं आयेजित की जाती हैं. साथ ही, पिछले साल के लिए भगवान का आभार व्यक्ति करते हैं. मान्यता है कि नवरोज के दिन पारसी लोग घरों में चंदन की लकड़ी का छोटा सा टुकड़ा रखते हैं. चंदन की महक से हवा शुद्ध होने के साथ खुशबू चारों ओर फैलती रहती है.
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