Paryushan Parv 2023: 19 सितंबर 2023 से दिगंबर जैन धर्म के लोगों का पर्यूषण पर्व शुरु हो चुका है. आत्मा शुद्धि का ये पर्व दस दिन तक चलता है. इस दौरान ईर्ष्या, कलह, विवाद, अहंकार से दूर तप और त्याग किया जाता है. इस साल पर्युषण पर्व की समाप्ति 29 सितंबर 2023 को क्षमावाणी पर होगी.


जैन धर्म में पर्युषण पर्व मनाने के लिए भिन्न-भिन्न मन्यताएं हैं. दिगंबर परंपरा में ये ‘10 लक्षण’ पर्व के रुप में मनाया जाता है. आइए जानते हैं पर्युषण पर्व का महत्व, नियम



जैन धर्म के 10 लक्षण (Paryushan Parv Significance)


उत्तम क्षमा धर्म, उत्तम मार्दव धर्म, उत्तम आजर्व धर्म, उत्तम शौच धर्म, उत्तम सत्य धर्म, उत्तम संयम धर्म, उत्तम तप धर्म, उत्तम त्याग धर्म उत्तम आकिंचन धर्म, उत्तम ब्रहचर्य धर्म होते हैं.


पर्युषण पर्व कैसे मनाया जाता है ? (Paryushan parv niyam)



  • जैन धर्मावलंबी पर्युषण पर्व के दौरान अपने आराध्य महावीर स्वामी की पूजा करते हैं. धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं.

  • जैन धर्म के अनुयायी पर्युषण पर्व के दौरान व्रत-उपवास रखते हैं. शाम को सूर्यास्त के बाद व्रतधारी भोजन नहीं करते.

  • 10 दिन तक ऐसा भोजन किया जाता है जो मन और शरीर को नियंत्रण में रख सके.

  • पर्युषण पर्व की अवधि में दान करने से मोक्ष के मार्ग सुलभ होता है.

  • पर्युषण पर्व का उदेश्य आत्म की शुद्धि करना है. ऐसे में महावीर स्वामी के बताई गई शिक्षा पर अनुसरण किया जाता है. जिसमें अहिंसा यानी किसी को दूख, कष्ट ना पहुंचाएं, सत्य के मार्ग पर चलें, चोरी ना करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. ये जैन धर्म के 5 मूल सिद्धांत हैं.

  • ये पर्व जीओ और जीने दो की राह पर चलने की प्रेरणा देता है. पर्युषण पर्व का आखिरी दिन क्षमावाणी कहलाता है. इस दिन जैन धर्म के अनुयायी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए सभी से माफी मांगते हैं.


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