Paryushan Parv 2022: जैन धर्म का मुख्य त्योहार पर्युषण पर्व 24 अगस्त 2022 यानी आज से शुरु हो गया है. 10 दिन तक मनाए जाने वाले इस पर्व का समापन अनंत चतुर्दशी यानी की 9 अगस्त 2022 को होगा. श्वेतांबर (Shwetambar Jain) )पंथ का पर्युषण पर्व 8 दिन तक चलता है (24 अगस्त - 31 अगस्त) वहीं दिगंबर जैन (Digambar jain) ये पर्व 10 दिन तक मनाते हैं (31 अगस्त - 9 सितंबर तक). ये त्याग, तप और आराधना का पर्व है. आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी खास जानकारियां.


क्या है पर्युषण पर्व ? (Paryushan Parv)


पर्युषण पर्व को पर्वराज भी कहा गया है यानी कि जैन धर्म के सभी त्योहारों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है. पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्म के अनुयायी उपवास रख त्याग, तपस्या और साधना करते हैं. ये पर्व अपनी इंद्रियों पर काबू पाने और आत्मशुद्धि के लिए मनाया जाता है. जैन पंथ में अहिंसा और आत्मा की शुद्धि का विशेष महत्व है. पर्युषण पर्व में दस धर्मों - उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन एवं उत्तम ब्रह्मचर्य का पालन कर आत्म शुद्धि की जाती है.


कैसे रखा जाता है पर्युषण का व्रत ?


नवरात्रि की तरह ही जैन धर्म के अनुयायी पर्युषण पर्व के दौरान व्रत-उपवास रखते हैं. शाम को सूर्यास्त के बाद व्रतधारी भोजन नहीं करते. इस अवधि में ऐसा भोजन किया जाता है जो मन और शरीर को नियंत्रण में रख सके.


पर्युषण पर्व के नियम ? (Paryushan parv niyam)



  • जैन धर्मावलंबी इस पर्व के दौरान धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं. पर्युषण पर्व की अवधि में किया दान कई गुना फल प्रदान करता है.

  • पर्युषण पर्व में व्यक्ति को अपने द्वारा किए बुरे कर्मों से उबरने के लिए खास अवसर मिलता है. ये पर्व जीओ और जीने दो की राह पर चलने की प्रेरणा देता है. इस पर्व में अपने द्वारा की गई गलतियों पर विचार कर क्षमा मांगी जाती है.

  • पर्युषण पर्व आत्मशुद्धि का अवसर प्रदान करता है इसलिए इस दौरान अहिंसा यानी किसी को दूख, कष्ट ना पहुंचाएं, सत्य के मार्ग पर चलें, चोरी ना करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना ही जैन धर्म के सिद्धांतों को रेखांकित करता है.


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