Paryushan Parv 2023: पर्युषण पर्व की कब से होगी शुरुआत, जानें जैन धर्म के इस पर्व का महत्व
Paryushan Parv 2023 Date: जैन धर्म के सभी त्योहारों में पर्युषण पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. जानते हैं दिगंबर और श्वेतांबर जैन के लोगों के पर्युषर्ण पर्व की डेट, महत्व और परंपरा.
Paryushan Parv 2023 Kab Hai: जैन धर्म के श्वेतांबर और दिगंबर समाज के लोग भाद्रपद मास में पर्युषण पर्व मनाते हैं. साल 2023 में पर्युषण पर्व की शुरुआत 12 सितंबर 2023, मंगलवार से हो रही है. इस दिन भौम प्रदोष व्रत भी है.
जैन धर्म के सभी त्योहारों में पर्युषण पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसमें 10 दिन तक जैन धर्म के लोग व्रत, उपवास, तप, करते हैं. इसके साथ ही अपने आराध्य महावीर स्वामी की पूजा करते हैं. आइए जानते हैं दिगंबर और श्वेतांबर जैन के लोगों के पर्युषर्ण पर्व की डेट, महत्व और परंपरा.
श्वेतांबर जैन का पर्युषण पर्व 2023 (Shwetambar Jain Paryushan Parv 2023)
जैन धर्म में दो पंथ है श्वेतांबर और दिगंबर जैन. श्वेतांबर जैन पंथ के लोग 12 सितंबर 2023 से शुरू होगें. जिसका समापन 19 सितंबर 2023 को होगा. श्वेतांबर जैन धर्म के लोग 8 दिन पर्युषण पर्व मनाते हैं.
दिगंबर जैन का पर्यषण पर्व 2023 (Digambar Jain Paryushan Parv 2023)
दिगंबर जैन का पर्युषण पर्व 10 दिन चलता है. इसकी शुरुआत 19 सितंबर 2023 को होगी और 29 सितंबर 2023 को इसका समापन होगा.
पर्युषण पर्व का महत्व (Paryushan Parv Significance)
जैन धर्म के पर्युषण पर्व मनुष्य को उत्तम गुण अपनाने की प्रेरणा हैं. इन दस दिनों में लोग व्रत, तप, साधना कर आत्मा की शुद्धि का प्रयास करते हैं और स्वंय के पापों की आलोचन करते हुए भविष्य में उनसे बचने की प्रतिज्ञा करते हैं. इस पर्व का मुख्य उद्देश्य आत्मा को शुद्ध बनाने के लिए आवश्यक उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना होता है. भगवान महावीर के जीवन काल से प्रभावित होकर पर्युषण पर्व को मनाया जाने लगा। माना जाता है जिस दौरान भगवान महावीर ने शिक्षा दी थी उस समय को ही पर्युषण पर्व कहा गया था. यह हमें सत्य के मार्ग पर चलना सिखाता है.
पर्युषण पर्व कैसे मनाया जाता है
- पर्युषण पर्व के समय 5 कर्तव्य का विशेषकर ध्यान रखा जाता है.
- पर्युषण पर्व तैयारी दो भाग में की जाती है.
- पहला तीर्थंकरों की पूजा करना और उन्हें स्मरण करना
- दूसरा इस व्रत को शारीरिक और मानसिक रूप से अपने आप को समर्पित करना.
- इसका व्रत करने से बुरे कर्मों का नाश होता है. मोक्ष की राह आसान होती है.
- पर्युषण पर्व के आखिरी दिन को महापर्व के रूप में मनाते हैं.
पर्युषण के पांच कर्तव्य
- संवत्सरी
- केशलोचन
- प्रतिक्रमण
- तपश्चर्या
- आलोचना और क्षमा याचना
Hartalika Teej 2023: हरतालिका कब है? जानें शुभ मुहूर्त और इस दिन बनने वाले शुभ योग
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.