सूर्य की पुत्री सुवर्चला के साथ विवाह: सूर्य की पुत्री सुवर्चला और हनुमान जी के विवाह का उल्लेख पराशर संहिता में मिलता है. पराशर संहिता में उल्लेख किया गया है कि हनुमान जी सूर्य देवता के शिष्य थे. सूर्य देवता हनुमान जी को नौ विद्याओं का ज्ञान देना चाहते थे. इन नौ विद्याओं में से पांच विद्याएं तो हनुमान जी ने सीख लीं लेकिन बाकी विद्याओं को सीखने के लिए विवाहित होना अनिवार्य था. इसी अनिवार्यता की वजह से सूर्य देवता ने अपनी पुत्री का विवाह हनुमान जी के साथ कर दिया. हनुमान जी से विवाह होने के बाद सुवर्चला सदा के लिए तपस्या में लीन हो गईं.
रावण की दुहिता अनंगकुसुमा के साथ विवाह: हनुमान जी के दूसरे विवाह का उल्लेख पउम चरित से प्राप्त होता है. पउम चरित के अनुसार रावण और वरुण देव के बीच हुए युद्ध में हनुमान जी वरुण देव की तरफ से रावण से युद्ध किया था जिसके परिणामस्वरूप इस युद्ध में रावण की हार हुई थी. युद्ध में हारने के बाद रावण ने अपनी दुहिता अनंगकुसुमा का विवाह हनुमान जी से कर दिया था.
वरुण देव की पुत्री सत्यवती से विवाह: जब वरुण देव और रावण के बीच युद्ध हो रहा था तब हनुमान जी वरुण देव की तरफ से लड़ते हुए वरुण देव को विजय दिलाई थी. वरुण देव ने इस विजय से प्रसन्न होकर अपनी पुत्री सत्यवती का विवाह हनुमान जी से कर दिया था.
विवाह के बाद भी आजीवन ब्रह्मचारी रहे हनुमान जी: हनुमान जी ने भले ही विशेष परिस्थितियों के तहत ये तीनों विवाह किए थे लेकिन उन्होंनें कभी भी अपनी पत्नियों के साथ वैवाहिक जीवन व्यतीत नहीं किया और वे आजीवन ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते रहे.
ये सब बातें विभिन्न शास्त्रों के अनुसार बताई गई हैं हालांकि ये बात जगजाहिर है कि परमभक्त हनुमान ने वैवाहिक जीवन व्यतीत नहीं किया और वे आजीवन बह्मचारी रहे.