Paush Month 2022: पौष माह में सूर्य देव को अर्घ्य देने का है महत्व, जानें विधि और नियम
Paush Month 2022: पौष का महीना शुरू हो चुका है. यह माह सूर्य देव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. पौष माह में सूर्य को अर्घ्य देने से मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है.
Paush Month 2022, Surya Dev Puja Arghya Importance: पौष का महीना शुक्रवार 09 दिसंबर 2022 से शुरू हो चुका है. यह महीना ग्रहों के राजा सूर्य देव की पूजा के लिए खास माना जाता है. मान्यता है कि इस माह सूर्य देव की उपासना करने से मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है और संकटों से छुटकारा मिलता है.
शास्त्रों में सूर्य नारायण को यश और कीर्ति का कारक माना गया है. साथ ही भगवान सूर्य पंचदेवों में एक माने जाते हैं. कलयुग में भगवान सूर्य एकमात्र ऐसे देवता हैं जो साक्षात दर्शन देते हैं.
सूर्य देव की उपासना करने से घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है. लेकिन पौष का महीना सूर्य देव का प्रिय माह होता है. इस पूरे माह सूर्य देव की पूजा करने और अर्घ्य देने का महत्व है.
पौष माह में सूर्य देव को दें अर्घ्य, इन बातों का भी रखें ध्यान
- पौष माह में सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए.
- पौष माह में प्रतिदिन सूर्य देव के दर्शन कर सूर्य मंत्रों ‘ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम:’ का उच्चारण करें.
- सूर्य देव को अर्घ्य देने या जल चढ़ाने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का ही प्रयोग करें.
- ऐसे लोग जिनकी कुंडली में सूर्य ग्रह शुभ स्थिति में नहीं है, उन्हें पौष माह में प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं.
- इस बात का ध्यान रखें कि सूर्य देव को जल चढ़ाते समय सूर्य को सीधे नहीं देखना चाहिए. बल्कि कलश से गिरते हुए जल की धारा से सूर्यदेव के दर्शन करने चाहिए.
- घर पर तांबे के धातु से निर्मित सूर्य देव की प्रतिमा रखें और प्रतिदिन हाथ जोड़कर दर्शन करें. इससे सारी परेशानियां दूर हो जाती है.
पुण्यफल की प्राप्ति के लिए करें सूर्य देव की परिक्रमा
पौष माह में सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही परिक्रमा भी जरूर करें. शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव को कलश में भरे जल से एक बार अर्घ्य नहीं देना चाहिए. बल्कि अर्घ्य देते समय तीन बार जल दें और प्रत्येक बार जल अर्पित कर सूर्य देव की परिक्रमा करें. सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ परिक्रमा करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है और मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है. साथ ही अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव के 12 नामों ‘ॐ सूर्याय नम:। ॐ मित्राय नम:। ॐ रवये नम:। ॐ भानवे नम:। ॐ खगाय नम:। ॐ पूष्णे नम:। ॐ हिरण्यगर्भाय नम:। ॐ मारीचाय नम:। ॐ आदित्याय नम:। ॐ सावित्रे नम:। ॐ अर्काय नम:। ॐ भास्कराय नम:। ’ का उच्चारण भी जरूर करें.
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