Paush Month 2022: मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा यानी कि 8 दिसंबर 2022 के बाद हिंदू पंचांग का दसवां महीना पौष महीना शुरू हो जाएगा. हिंदू धर्म में पौष माह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने में खासतौर पर सूर्यदेव की पूजा की जाती है. पौष माह को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करने वह बैकुंठ लोग को प्राप्त होते हैं. आइए जानते हैं पौष माह की शुरुआत कब से होगी, क्या है इसका महत्व


पौष माह 2022 डेट (Paush Month 2022 Date)


पौष महीना 9 दिसंबर 2022 से शुरू हो जाएगा और 7 जनवरी 2023 तक चलेगा. इससके बाद माघ माह आरंभ होगा. ये महीना सूर्य, श्रीहरि और पितरों को समर्पित है.


ऐसे पड़ा पौष नाम


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भारतीय महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं. जिस महीनें में हर माह की पूर्णिमा पर चंद्रमा जिस खास नक्षत्र में होता है उस महीने को उसी नक्षत्र के नाम से जाना जाता है. पौष माह की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है इसलिए इसका नाम पौष रखा गया.


पौष माह महत्व (Paush Month Significane)


धर्म ग्रंथों के अनुसार पौष महीने में सूर्य की आराधना भग नाम से करनी चाहिए. भग सूर्य देवता का ही स्वरूप है. इस माह में सर्दियां चरम पर होती है. मान्यता है जो पौष माह में प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देता है उसे सूर्य के समान तेज, बल, यश, कीर्ति और धन प्राप्त होता है. साथ ही हर रविवार को व्रत रखकर तिल, चावल की खिचड़ी का गुड़ सूर्यनारायण को अर्पित करने से वह साधक को ऊर्जा और बेहतर स्वास्थ प्रदान करते हैं.


पौष माह में सूर्य पूजा के लाभ (Paush Month Surya Puja benefit)



  • पौष महीने में ही मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं. जब सूर्य मकर से मिथुन राशि तक भ्रमण करते है, तो इस अवधि को उत्तरायण कहते हैं.

  • उत्तरायण मास को देवी- देवताओं का दिन माना गया है. इसमें सूर्य देव की पूजा करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है. बीमारियों से छुटकारा मिलता है.

  • इस माह में गर्म कपड़े, गेंहू, गुड़, तिल, चावल का दान करने से जीवन में आने वाली तमाम बाधाओं का नाश होता है. कहते हैं जो व्यक्ति सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण त्यागता है उसे मोक्ष मिलता है.


पौष माह में पितरों के लिए श्राद्ध का महत्व


पौष माह की अमावस्या और पूर्णिमा तिथि खास मायने रखती है. इस दिन पितरों का श्राद्ध कर्म करने से पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. शास्त्रों के अनुसार पौष मास में सूर्य धनु राशि प्रवेश करते हैं और इस अवधि में मांगलिक कार्य पर रोक लग जाती है. यह अवधि पिंडदान के लिए खास मानी जाती है.


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