Paush Putrada Ekadashi 2023: संतान को संकटों से बचाता है पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत, आज भूलकर भी न करें ऐसी गलती
Paush Putrada Ekadashi 2023: 2 जनवरी 2023 यानी कि आज नए साल की पहली एकादशी, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत है. जानते हैं पौष पुत्रदा एकादशी के दिन किन बातों का ध्यान रखें और क्या है इसके उपाय
Paush Putrada Ekadashi 2023: 2 जनवरी 2023 यानी कि आज नए साल की पहली एकादशी, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत है. ये व्रत संतान प्राप्ति, बच्चे के सार्थक भविष्य और उसे संकटों से बचानी की कामना के साथ रखा जाता है. इस व्रत में सृष्टि के पालनहार परमेश्वर श्री विष्णुजी की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है. पदम् पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से अग्निष्टोम यज्ञ करने के समान पुण्य प्राप्त होता है. क्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में, पौष पुत्रदा एकादशी को 'वैकुंठ एकादशी', 'स्वर्गावथिल एकादशी' या 'मुक्तकोटि एकादशी' के रूप में मनाया जाता है. एकादशी व्रत के कुछ नियम है. मान्यता है कि अगर घर में कोई भी एकादशी का व्रत करता है तो घर-परिवार को भी इन नियमों का पालन करना पड़ता है नहीं तो साधक व्रत का फल नहीं मिलता. जानते हैं पौष पुत्रदा एकादशी के दिन किन बातों का ध्यान रखें और क्या है इसके उपाय
पुत्रदा एकादशी व्रत के पारण का समय - 3 जनवरी 2023, 07:14 - 09:18
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भूलकर न करें ये गलतियां (Paush Putrada Ekadashi Rules)
- एकादशी पर बाल, नाखुन नहीं काटना चाहिए, कहते हैं कि इससे ग्रह दोष लगता है. साथ ही विष्णु भक्ति की हानि होती है.
- शास्त्रों में एकादशी पर चावल बनाना और खाना पाप करने के समान माना गया. पौराणिक कथा के अनुसार एकादशी पर महर्षि मेधा ने मां शक्ति के क्रोध से बचने के लिए धरती में अपना शरीर त्याग दिया था. बाद में उन्होंने चावल और जौ के रूप में धरती में जन्म लिया. एकादशी पर इन चीजों का सेवन किसी जीव का सेवन करने के समान माना जाता है.
- एकादशी पर मांस-मदिरा और तामसिक भोजन करने से लक्ष्मी रूठ जाती हैं और साधक कंगाली की राह पर आ जाता है.
- इस दिन न ही तुलसी तोड़ें और न ही दातुन करें, क्योंकि इस दिन फूल-पत्तियों को तोड़ना मना होता है.
पौष पुत्रदा एकादशी उपाय (Paush Putrada Ekadashi Upay)
- शादी के कई सालों बाद भी संतान नहीं प्राप्ति में बाधा आ रही है तो एकादशी के दिन खासतौर पर गाय और बछड़े की सेवा करें. ये उपाय साल की पहली एकादशी से आने वाली अगली एकादशी तो रोजाना करें. मान्यता है भगवान कृष्ण की कृपा से निसंतान दंपत्ति की कामना पूरी होती है.
- पितृदोष की वजह से कई बार संतान सुख नहीं मिलता है. एकादशी के दिन पीपल की पूजा करें और ब्राह्मण भोजन कराएं. उन्हें दान-दक्षिणा दे. मान्यता है इससे पितर प्रसन्न होते हैं और साधक के संतान पाने की कामना जल्द पूरी होती है.
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