Putrada Ekadashi 2021 Date : पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है. धार्मिक मान्यता के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. इस व्रत का संबंध संतान से है. यदि किसी की संतान रोग आदि से पीड़ित है या फिर संतान की सफलता में किसी तरह की बाधा आ रही है तो माताएं इस व्रत को रखती है. ऐसा मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान के कष्टों को दूर करता है.


पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है
पुत्रदा एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. संतान प्राप्ति की कामना करने वाली स्त्रियां भी इस व्रत को करती हैं और विधि पूर्वक पूजा करती है. पंचाग के अनुसार पुत्रदा एकादशी को एक वर्ष में दो बार आती है. इस वर्ष की पहली पुत्रदा एकादशी, पौष मास और दूसरी एकादशी जुलाई या अगस्त माह में आती है जिसे श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है.


पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी व्रत प्रारंभ: 23 जनवरी, शनिवार, रात 8:56 मिनट.
व्रत समापन: 24 जनवरी, रविवार, रात 10: 57 मिनट.
व्रत पारण समय: 25 जनवरी, सोमवार, सुबह 7:13 से 9:21 मिनट तक


व्रत पूजा विधि
24 जनवरी की सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूजा स्थल पर पूजा आरंभ करें. पूजा आरंभ करने से पूर्व व्रत का संकल्प लें. इस दिन विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन व्रत के नियमों का कठोरता से पालन करें. इस दिन अन्न और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. एकादशी व्रत में शाम की भी पूजा महत्वपूर्ण मानी गई है. इस दिन शाम को विधि पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा और आरती करनी चाहिए. व्रत पारण के बाद जरूरतमंद लोगों का दान देना चाहिए.


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