Pitra Dosh Upay: पितृदोष बहुत ही कष्ट देने वाला होता है. जिस किसी की भी कुंडली में पितृदोष होता है उसको कई तरह के मानसिक तनाव झेलने पड़ते हैं. पितृदोष होने पर व्यक्ति के जीवन में जबर्दस्त परेशानियां आनी शुरू हो जाती हैं. इसलिए यह जरूरी है कि पितृदोष के लक्षण को पहचाना जाए और उस अनुसार उपाय कर इस दोष को शांत किया जाए. आइए जानते हैं पंडित रमेश द्विवेदी से क्या हैं पितृदोष, उसके कारण, लक्षण और मुक्ति के उपाय.
सबसे पहले ये जानेंगे कि आखिर पितृदोष होता क्या है? माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया जाए या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो उस व्यक्ति के साथ - साथ उससे जुड़े परिवार के लोगों को कई पीढ़ियों तक पितृदोष झेलना पड़ता है.
पितृदोष के कारण
पितृदोष कई कारणों से होता है जैसे पितरों का विधिवत अंतिम संस्कार और श्राद्ध न होना, पितरों का अपमान करना है, घर की स्त्रियों का सम्मान न करना, जानवरों को मारना, बुजुर्गों का अपमान आदि से पितृ दोष लगता है.
क्या हैं पितृदोष के लक्षण
अक्सर कई बार पता नहीं चल पाता कि जिन परेशानियों से आप गुजर रहें कहीं वो पितृदोष नहीं है. इसलिए बहुत जरूरी है कि जीवन में अगर कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा तो उसके कारणों को जानें. हो सकता है कि आपको जो परेशानी मामूली नजर आ रही है वो पितृदोष हो.पितृदोष होने पर व्यक्ति के जीवन में संतान का सुख नहीं मिल पाता है.नौकरी और व्यवसाय में भरपूर मेहनत करने के बावजूद भी नुकसान उठाना पड़ता है.परिवार में अशांति बनी रहती है और किसी ना किसी सदस्य का स्वास्थ्य खराब रहता है.जीवन में होने वाले मांगलिक कार्यों में बाधाएं आती हैं.
पितृदोष से मुक्ति के उपाय
- शाम के समय पीपल के वृक्ष पर दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें. इससे भी पितृ दोष की शांति होती है.
- प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करें. ऐसा करने से भी पितृदोष का शमन होता है.
- विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें.इससे पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है.
- पितृदोष निवारण के लिए महामृत्युंजय के मंत्र से शिवजी का अभिषेक करें.
- घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा करें . ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है.
- नियमित रूप से रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना करें. हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
- अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों अथवा ब्राह्मणों को भोजन कराए. भोजन में स्वर्गीय परिजनों की पसंद का बनाएं.
- प्रतिदिन पितृ कवच का पाठ करें.ऐसा करने से पितृदोष की शांति होती है.
- अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करें. ऐसा करने से भी यह दोष मिटता है.
- पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें.
- पितरों के नाम से फलदार, छायादार वृक्ष लगवाएं. इससे भी दोष कम होता है.
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