Pitru Paksha 2022: आज है मातृ नवमी श्राद्ध पर कर लें ये एक काम, अखंड सौभाग्य का मिलेगा वरदान
Pitru paksha 2022: पितृ पक्ष मातृ नवमी का श्राद्ध 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा. इस दिन जिन महिलाओं का देहांत सुहागिन के रूप में हुआ हो, उनका श्राद्ध मातृ नवमी पर करना उत्तम होता है.
Pitru paksha 2022 Matri Navmi shradha: पितृ पक्ष मातृ नवमी का श्राद्ध 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा. इस दिन विशेष तौर पर जिनकी मां की मृत्यु हो गई हो उनती आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान किए जाते हैं. वैसे तो मृत्यु तिथि पर मृत परिजन का श्राद्ध करने का विधान है लेकिन इस दिन जिन महिलाओं का देहांत सुहागिन के रूप में हुआ हो, उनका श्राद्ध मातृ नवमी पर करना उत्तम होता है. मान्यता है इससे परिवार में सभी दिवंगत महिला सदस्यों (बेटी, बहु, मां, दादी) की आत्मा प्रसन्न होती हैं. घर की महिलाओं को सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है. आइए जानते हैं मातृ नवमी श्राद्ध का मुहूर्त और विधि
पितृ पक्ष मातृ नवमी श्राद्ध 2022 मुहूर्त
अश्विन कृष्ण नवमी तिथि शुरू - 18 सितम्बर 2022 शाम 04:32
अश्विन कृष्ण नवमी तिथि समाप्त - 19 सितम्बर 2022 रात 07:01
कुतुप मुहूर्त - दोपहर 11.56 - दोपहर 12.45
मातृ नवमी श्राद्ध विधि
- पितृ पक्ष में मातृ नवमी पर दिवंगत महिलाओं के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म करें. शास्त्रों के अनुसार मातृ नवमी श्राद्ध पर किसी जरूरतमंद सुहागिन महिला को सुहाग का सामान जैसे चूड़ी, बिंदी, कुमकुम, भोजन, का दान करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.
- इस दिन गजेंद्र मोक्ष का स्त्रोत का पाठ करने से सुख समृद्धि आती है, कर्ज से छुटकारा मिलता है. इसके लिए मृत परिजन की तस्वीर के समक्ष तेल का दीपक लगाएं और दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके भगवान विष्णु का ध्यान कर पाठ शुरू करें. इस पाठ को दिन में या फिर शाम के वक्त भी कर सकते हैं. कहते हैं गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से पितरों की नाराजगी दूर होती है और पितृ दोष समाप्त होता है.
गजेंद्र मोक्ष स्त्रोतम्
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
गज और ग्राह लड़त जल भीतर, लड़त-लड़त गज हार्यो।।
जौ भर सूंड ही जल ऊपर तब हरिनाम पुकार्यो।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।।
शबरी के बेर सुदामा के तन्दुल रुचि-रुचि-भोग लगायो।
दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर खायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
पैठ पाताल काली नाग नाथ्यो, फन पर नृत्य करायो।।
गिरि गोवर्द्धन कर पर धार्यो नंद का लाल कहायो।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।।
असुर बकासुर मार्यो दावानल पान करायो।
खम्भ फाड़ हिरनाकुश मार्यो नरसिंह नाम धरायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
अजामिल गज गणिका तारी द्रोपदी चीर बढ़ायो।।
पय पान करत पूतना मारी कुब्जा रूप बनायो।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।।
कौर व पाण्डव युद्ध रचायो कौरव मार हटायो।
दुर्योधन का मन घटायो मोहि भरोसा आयो ।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
सब सखियां मिल बन्धन बान्धियो रेशम गांठ बंधायो।।
छूटे नाहिं राधा का संग, कैसे गोवर्धन उठायो।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।।
योगी जाको ध्यान धरत हैं ध्यान से भजि आयो।
सूर श्याम तुम्हरे मिलन को यशुदा धेनु चरायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ।
यह आचरण माहि आओ।।
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