नई दिल्ली: 13 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं. हिंदू धर्म में माता-पिता को ईश्वर तुल्य माना गया है, मृत्यु के बाद माता-पिता के उद्धार के लिए श्राद्ध किया जाता है. श्राद्ध करने के लिए भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक का समय निर्धारित किया गया है. इन 16 दिनों को ही पितृ पक्ष कहा जाता है. इन दिनों में हिंदू धर्म के अनुयायी अपने पूर्वजों को भोजन और जल अर्पित करते हैं.


इन दिनों में पितरों को खुश करने का लोग भरसक प्रयास करते हैं ताकि उनके जीवन के संकट दूर हो सकें. यदि पितृपक्ष के दौरान किसी को पितृदोष लगा है यानि पितृ नाराज हैं तो उन्हें आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है.


पितृदोष के निवारण के लिए उपयुक्त समय


पितृदोष उन लोगों को लगता है जिनके पूर्वज या पितृ उनसे नाराज होते हैं जिसकी वजह से लोगों के जीवन में लगातार समस्याएं रहती हैं. अगर एक बार किसी को पितृदोष लग जाए तो उसके जीवन में समस्याएं ही समस्याएं रहती हैं. पितृदोष होने पर लोगों कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है. पितृदोष कोई भी मंगल काम को होने नहीं देता है.


पितृ दोष का सबसे बड़ा कारण ऋण हैं जो लोगों को परेशानियां देता है. शास्त्रों में पांच तरह के ऋण बताए गए हैं. ईश्वर, आचार्य, पित्तरों, माता-पिता और मातृभूमि का ऋण. प्रकृति को नष्ट करना, गो हत्या करना, स्त्रियों को परेशान करना और भ्रूण हत्या करने वालों को पितृदोष लगता है. जो दूसरों की संपत्ति हड़प लेते हैं, पशु-पक्षियों को मारते हैं उन्हें भी पितृदोष परेशान करता है.


इस तरह करें पितरों का तर्पण


श्राद्ध के दिन सुबह उठकर स्नान करें और इसके बाद देव स्थान को गाय के गोबर लिपें और गंगा या फिर नर्मदा जल का छिड़काव करें. महिलाएं पितरों के लिए खाना बनाएं. इसेक बाद पितरों की पूजा और तर्पण करें. वैसे इस समय दूध से निर्मित पदार्थों का ही अर्पण किया जाता है लेकिन आप चाहें तो अपने पूर्वोजों के पसंद का खाना भी बना सकते हैं. पितृ के लिए बनाए गए भोजन को चार हिस्सों में बांट दें और एक हिस्सा गाय को, एक कौए, एक कुत्ते और एक मेहमान के लिए रखें. इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और अपने सामर्थ्य अनुसार दान दें.


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