Pitru Paksha 2020: 12 सितंबर को है दशमी श्राद्ध, जानें इस दिन किन लोगों का किया जाता है तर्पण और पिंडदान
Pitru Paksha 2020: पितृ पक्ष चल रहे हैं. पितृ पक्ष में पितरों को तर्पण और पिंडदान का विधान है. पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपना आर्शीवाद प्रदान करते हैं. आज पितृ पक्ष का दशमी श्राद्ध है. जानते हैं दशमी श्राद्ध की विधि के बारे में.
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Pitru Paksha 2020: पंचांग के अनुसार आज 12 सितंबर को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है. पितृ पक्ष में पड़ने वाली इस दशमी की तिथि को दशमी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है. पितृ पक्ष में दशमी श्राद्ध का विशेष महत्व है. इस दिन उन लोगों को श्राद्ध कर्म किया जाता है कि जिनकी मृत्यु दशमी की तिथि पर होती है.
श्राद्ध कर्म के अनुसार गया सिर और गया कूप नामक दो वेदियों पर श्राद्धकर्म का विधान है. इस वेदी पर पिंडदान करने से कष्ट भोग रहे पितरों को स्वर्गलोक मिल जाता है. ऐसा माना जाता कि इस दिन गया कूप में पिंडदान से श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ करने का फल मिलता है. दशमी के श्राद्ध के बाद संकटा देवी का दर्शन पूजन करना विशेष फलदायी माना गया है.
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दशमी तिथि में श्राद्ध का मुहूर्त पंचांग के अनुसार 12 सितंबर 2020 को दशमी की तिथि सांय 4 बजकर 13 मिनट तक रहेगी इसके बाद एकादशी की तिथि आरंभ हो जाएगा. इस एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. पितृ पक्ष में इस एकादशी का विशेष फल बताया गया है. दशमी श्राद्ध में राहु काल का विशेष ध्यान रखें. इस दिन राहु काल का समय प्रात: 09:10:50 से 10:43:54 तक रहेगा. दशमी को शुभ कार्य अभिजीत महुर्त में करें. इस दिन अभिजित मुहूर्त प्रात: 11:52:08 से 12:41:46 तक है. इस मुहूर्त में किए गए कार्यों का फल अभिजीत माना गया है.
दशमी श्राद्ध की विधि दशमी की तिथि को स्नान करने के बाद पूजा स्थान पर पूर्वज की तस्वीर स्थापित करने के बाद विधि पूर्वक पूजा आरंभ करें. पूजा आरंभ करने के बाद पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें. भगवान विष्णु की पूजा करें और पितरों का स्मरण करें. पूजा के दौरान पूर्वजों से गलती के लिए क्षमा मांगे और परिवार पर आर्शीवाद बनाए रखने की प्रार्थना करें. पितरों के समक्ष अग्नि में गाय का दूध, दही, घी और खीर अर्पित करें. पितरों के लिए तैयार किए गए भोजन से चार ग्रास निकाल कर एक ग्रास गाय, दूसरा कुत्ता, तीसरा कौए और चौथा ग्रास अतिथि या मान पक्ष के समाने रखें. पूजा संपंन करने के बाद ब्राहम्ण को दान दें.
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