Pitru Paksha 2020: इस समय चल रहे पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. जिससे पितर खुश होकर अपने संतान को आशीर्वाद देते हैं. इसीलिए पितृ पक्ष में देश के 7 स्थानों पर पितृ तीर्थ बनाए गए हैं जहां पर पिंडदान और तर्पण करने से पितर संतुष्ट होते हैं और हमें खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं. आइए जानते हैं देश के इन 7 पितृ तीर्थ स्थलों के बारे में-

  1. उत्तराखंड का ब्रह्म कपाल- उत्तराखंड के इस ब्रह्म कपाल तीर्थ के बारे में पुराणों में बताया गया है कि ब्रह्म कपाल में श्राद्ध करने से पितरों की आत्माएं संतुष्ट हो जाती हैं और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है. ऐसा भी कहा गया है कि जो आदमी ब्रह्म कपाल में आकर पिंडदान करता है उसे फिर पिंडदान करने की कोई जरूरत नहीं होती है.

  2. महाराष्ट्र का मेघंकर- ऐसा माना जाता है कि महाराष्ट्र के मेघंकर तीर्थ में जिस आदमी का श्राद्ध किया जाता है उस आदमी के सभी पाप ख़त्म हो जाते हैं. महाराष्ट्र के मेघंकर तीर्थ को भगवान जनार्दन का साक्षात् रूप माना जाता है.




  1. कर्नाटक का लक्ष्मण बाण- जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि इसकी मान्यता रामायण काल से ही है. ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने अपने पिता श्री दशरथ का श्राद्ध यहीं पर किया था. यहां के मंदिर में राम, लक्ष्मण और माता सीता की मूर्तियां भी हैं.

  2. मध्य प्रदेश का सिद्धनाथ- मध्य प्रदेश का यह सिद्धनाथ तीर्थ उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे बनाया गया है. यहीं पर सिद्धवट नामक एक वटवृक्ष है. ऐसा माना जाता है कि यहां पर हुआ श्राद्ध सिद्ध योगियों को ही नसीब होता है.

  3. राजस्थान का लोहागढ़- इस तीर्थ का नाम लोहागढ़ इसलिए पड़ा क्योंकि ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में इसी स्थान पर पानी में पांडवों के अस्त्र-शस्त्र गल गए थे. इस तीर्थ में जिस आदमी का श्राद्ध किया जाता है उस आदमी को मोक्ष मिलता है.

  4. बिहार का गया- बिहार का यह गया नामक तीर्थ फल्गु नदी के किनारे बनाया गया है. बिहार के गया में पितृ पक्ष के समय रोज हजारों लोग अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि गया में फल्गु नदी के किनारे पिंडदान करने से पितरों को वैकुंठ की प्राप्ति होती है.

  5. उत्तर प्रदेश का प्रयाग तीर्थ- ऐसा माना जाता है कि उत्तर प्रदेश के प्रयाग तीर्थ में जिस भी आदमी का पूरे विधि-विधान के साथ तर्पण और श्राद्ध कर्म करा दिया जाता है वह आदमी जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है.