Pitru Paksha 2020: 4 सितम्बर को है सर्वार्थ सिद्धि योग, इसमें भूलकर भी ना करें ये काम
चल रहे पितृ पक्ष में 4 सितम्बर को है सर्वार्थ सिद्धि योग. इन कार्यों में फलदायी होता सर्वार्थ सिद्धि योग. आइए विस्तार से जानें इन कार्यों के बारे में.
![Pitru Paksha 2020: 4 सितम्बर को है सर्वार्थ सिद्धि योग, इसमें भूलकर भी ना करें ये काम Pitru Paksha 2020: know significant of Sarvaarth Siddhi Yoga Pitru Paksha 2020: 4 सितम्बर को है सर्वार्थ सिद्धि योग, इसमें भूलकर भी ना करें ये काम](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/09/02215418/pitrapaksha.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Pitru Paksha 2020: साल 2020 के पितृ पक्ष का आरंभ 01 सितम्बर से हो चुका है. जिसमें 01 सितम्बर को पूर्णिमा, 02 सितम्बर को प्रतिपदा, 03 सितम्बर को द्वितीया और 04 सितम्बर को सर्वार्थ सिद्ध योग है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सर्वार्थ सिद्धि योग किसी शुभ काम को करने के लिए बेहद शुभ योग माना जाता है. ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इस योग में किया गया कोई भी कार्य फलदायी और सफल होता है.
यह है समय: 04 सितम्बर को बनने वाले सर्वार्थ सिद्धि योग का समय शुक्रवार सुबह 23 बजकर 28 मिनट से रात 29 बजकर 44 मिनट तक है.
ऐसे बनता है सर्वार्थ सिद्धि योग: सर्वार्थ सिद्धि योग निश्चित नक्षत्र, निश्चित तिथि और निश्चित वार के संयोग से बनता है. जैसे- शुक्रवार- रेवती, अनुराधा, अश्वनी, पुनर्वसु, श्रवण.
यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है. यह योग सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करने वाला होता है.
यह होता है सर्वार्थ सिद्धि योग: सर्वार्थ सिद्धि योग किसी भी शुभ कार्य को करने का शुभ मुहूर्त होता है. इस मुहूर्त में शुक्र अस्त, पंचक, भद्रा आदि पर कोई विचार करने की जरूरत नहीं होती है. सवार्थ सिद्धि योग में कुयोग को भी समाप्त करने की ताकत होती है.
इस योग में किए जाते हैं ये कार्य: सर्वार्थ सिद्धि योग में मकान खरीदने, दुकान या ऑफिस का उद्घाटन करने, वाहन खरीदने, क्रय-विक्रय करने, मकान की रजिस्ट्री करवाने जैसे कार्य किए जाते हैं.
इस योग में भूलकर भी न करें ये काम: सर्वार्थ सिद्धि योग में विवाह, गृह प्रवेश और यात्रा करने जैसे कार्य नहीं किए जाते है.
इन परिस्थितियों में अशुभ होता है सर्वार्थ सिद्धि योग: अगर सर्वार्थ सिद्धि योग गुरु पुष्य योग से बन निर्मित हो और शनि रोहिणी योग से निर्मित हो तथा मंगल अश्वनी योग से निर्मित हो तब यह योग अशुभ होता है और इसमें कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
नोट: इस आलेख की सभी जानकारियां जनश्रुतियों, लौकिक मान्यताओं एवं धार्मिक विश्वास और आस्था पर आधरित है, जो केवल पाठकों की सामान्य रुचि और आस्था को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/e4a9eaf90f4980de05631c081223bb0f.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)