पितृ पक्ष आरंभ हो चुके हैं. पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. जिससे पितर खुश होकर अपने संतान को आशीर्वाद देते हैं. हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति का श्राद्ध को बहुत जरूरी माना जाता है. माना जाता है कि यदि श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है.


पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य और पूजा पाठ किए जाते हैं ताकि हम पर पूर्वजों की कृपा बनी रहे. पितृपक्ष में पांच वस्तुओं का प्रयोग बहुत शुभ माना जाता है. जानते हैं कौन सी हैं ये पांच चीजें.




  • सबसे जरूरी चीज श्रद्धा है. बिना श्रद्धा के दिया हुआ श्राद्ध पितरों को नहीं प्राप्त होता है. उनकी आत्मा को भी संतुष्टि नहीं मिलती है और न ही उनका आशीर्वाद संतान को प्राप्त होता है.

  • जल जीवन का आधार है. जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. इसी तरह जल के बिना कोई कर्मकांड नहीं होता है. श्राद्ध में संतान द्वारा दिया गया जल पितरों के लिए अमृत के समान होता है. इस जल से उन्हें संतुष्टि मिलती है. जल में खड़े होकर ,अंजुली में जल लेकर पितरों को जल देना सर्वोत्तम होता है. मान्यता है कि पितृपक्ष में अगर जल की बर्बादी की जाय तो पितृ पूजा स्वीकार नहीं करते हैं.

  • श्राद्ध में कुश का बहुत महत्व है. कुश का अर्थ घास होता है. पौराणिक शास्त्रों में कुश को लेकर ऐसा कहा गया है कि कुश का जन्म भगवान विष्णु के रोम से हुआ है. कुश से दिया गया जल सीधे पितरों को प्राप्त होता है.

  • पितृ पक्ष में काले तिल का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता भगवान विष्णु के पसीने से उत्पन्न हुआ था. तिल से श्राद्ध करने पर पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. तिल का दान करने से दानव, असुर दैत्य भी भाग जाते हैं.

  • पितरों के लिए सबसे पहला भोज अक्षत यानी चावल माना जाता है. अक्षत मिलाकर ही पिंड तैयार किया जाता है. चावल के बने पिंड से पितर लंबे समय तक संतुष्ट रहते हैं.


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