Pitru Paksha 2021: 20 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष, इन 3 स्थानों पर पिंड दान देना है सर्वोत्तम, ऐसे करें तैयारी
Pitru Paksha 2021 Date: पितरों की आत्म तृप्ति के लिए हर वर्ष भादो मास की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष शुरू होता है जो कि आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है. ये दिन पिंडदान के लिए अति उत्तम समय होते हैं.
Pitru Paksha 2021 Places: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का अति महत्वपूर्ण स्थान है. पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष का आरंभ होता है और यह आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है. यह 20 सितंबर से 6 अक्टूबर 2021 तक है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों और पितरों की आत्म तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म आदि किए जाते हैं. इससे व्यक्ति पर पितृ दोष नहीं लगता है और घर- परिवार की उन्नति होती है. पितरों के आशीष से वंश वृद्धि होती है.
गया (बिहार): गया जिला बिहार की सीमा से लगा फल्गु नदी के तट पर स्थित है. धार्मिक मान्यता है कि गया में फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृतात्मा को शांति मिलती है और उन्हें सीधे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. इसलिए गया को श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान माना गया है. पितृ पक्ष के दौरान यहां पर हर साल लोग पिंडदान करने आते हैं. हालांकि मौजूदा समय में कोरोना की तीसरी लहर आने की चर्चा जोरों पर है इस लिए श्रद्धालु समय और सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का अनुपालन करते हुए पिंडदान करें.
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ब्रह्मकपाल (उत्तराखंड): ब्रह्मकपाल श्राद्ध कर्म के लिए अति पवित्र तीर्थ स्थल है. यह तीर्थ स्थल अलकनंदा नदीके समीप स्थित है. यहां पर लोग अपने पूर्वजों की आत्म शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करते हैं. यह स्थान बद्रीनाथ धाम के समीप स्थित है. धार्मिक मान्यता है कि ब्रह्मकपाल में श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण करने से पितरों एवं पूर्वजों की आत्माएं तृप्त होती हैं और उनको सदगति कके साथ स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है. यह भी मान्यता है कि यहां पर श्राद्ध कर्म और पिंडदान करने से और कहीं भी पितृ श्राद्ध और पिंडदान करने की जरूरत नहीं पड़ती है. कहा जाता है कि पांडवों ने भी यहां अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म किया था.
नारायणी शिला (हरिद्वार)
हरिद्वार में नारायणी शिला के पास लोग पूर्वजों का पिंड दान करते हैं. मान्यता है कि नारायणी शिला पर पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है, क्योंकि हरिद्वार हरि का द्वार है. मान्यताओं के अनुसार, हरिद्वार में भगवान विष्णु और महादेव दोनों ही निवास करते हैं. यहां पिंड दान करना सर्वोत्तम होता है.