Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष के दौरान इन मुहूर्तों में कर सकते हैं खरीदारी, इन चीजों को करने से बचें
Pitru Paksha Shopping Muhurat: पितृपक्ष के दौरान अकसर लोगों में धारणा रहती है कि इन दिनों में किसी भी तरह की नई चीजें खरीदना अशुभ होता है.
Shopping In Sharadh Shubh Muhurat 2021: पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत 20 सितंबर से हो चुकी है और इसका समापन 6 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या (Sarv Pitru Amavasya) के दिन होगा. पितृपक्ष के दौरान अकसर लोगों में धारणा रहती है कि इन दिनों में किसी भी तरह की नई चीजें खरीदना अशुभ होता है. मान्यता है कि इन दिनों पितर यमलोक से धरती पर अपने प्रियजनों से मिलने आते हैं और अपने वंशजों को ढेर सारा आशीर्वाद देकर जाते हैं. कहते हैं कि इन दिनों में किसी भी तरह की नई चीजें नहीं खरीदनी चाहिए. हालांकि ज्योतिष शास्त्र में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि पितृपक्ष के दौरान किसी भी तरह की नई चीजें खरीदना अशुभ होता है.
कुछ लोगों की धारणा यह भी है कि इन दिनों में अगर कोई नई चीज खरीदी जाती है तो उससे पितर नाराज हो जाते हैं. लेकिन इन सब बातों का कोई आधार नहीं है. आइए डालते हैं एक नजर पितृपक्ष में क्या कर सकते हैं और क्या नहीं.
पितृपक्ष में ये न करें
मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान किसी भी तरह के बुरे कार्य करने से बचना चाहिए. इन दिनों में किसी के बारे में भी बुरा सोचना और बोलना नहीं चाहिए. इस समय में पितर हमारे घर आते हैं ऐसे में घर का माहौल शांत रखना चाहिए. उसके सम्मान में तर्पण करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहते हैं कि इन 15 दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए. इन दिनों में विवाह, नींव पूजन, मुंडन, ग्रह प्रवेश आदि करना अशुभ बताया गया है.
पितृपक्ष में खरीदारी के मुहूर्त
पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं. ताकि उनकी आत्मा को शांति और तृप्ति मिल सके. पितृपक्ष के दौरान अष्टमी तिथि पर गज लक्ष्मी अष्टमी व्रत रखने का विधान है. इस दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन सोना खरीदने से सोने में आठ गुना बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा 27, 30 सितंबर और 6 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग के कारण खरीदारी के लिए शुभ योग है. साथ ही, 1 अक्टूबर को गुरू पुष्प योग होने के कारण इस भी खरीदारी करना शुभ होता है. हालांकि, पितर अपनी संतान के सुखमय जीवन से नाराज नहीं होते हैं, लेकिन फिर भी उन दिनों में सादा जीवन जीना ही उचित माना जाता है.
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