Pitru Paksha 2021 Bhojan: पितृपक्ष का हिंदू धर्म में अति महत्वपूर्ण स्थान है. इस साल पितृ पक्ष का प्रारंभ आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि, 21 सितंबर दिन मंगलवार से होकर आश्विन की अमावस्या, 6 अक्टूबर को समाप्त होगा. पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए उनके नाम से तर्पण और पिंडदान करते हैं. उनके मृत्यु तिथि के दिन श्राद्ध करते हैं. पितरों का श्राद्ध विधि पूर्वक करना जरूरी होता है.
पितृ पक्ष में पितर धरती पर आते हैं
धार्मिक मान्यता है कि श्राद्ध के दिनों में पितर नीचे धरती पर आते हैं और किसी भी रूप में अपने वंशजों के घर जाते हैं. ऐसे में अगर उन्हें तृप्त न किया जाए, तो उनकी आत्मा अतृप्त ही लौट जाती है. इससे पितर नाराज होकर वे अपने वंशजों को श्राप दे जाते हैं. परंतु जब वे खुशी-खुशी वापस जाते हैं, तो वंशजों को खूब सारा आर्शीवाद दे जाते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
श्राद्ध में लोगों को भोजन कराया जाता है. तत्पश्चात उन्हें दक्षिणा दिया जाता हैं, उसके बाद उन्हें ससम्मान विदा करते हैं. इससे पितर अति प्रसन्न होते हैं और श्राद्ध कर्ता को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
पितरों के आशीर्वाद से घर परिवार में सुख समृद्धि और शांति बनी रहती है. धन का आगमन होता रहता है. पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. परंतु श्राद्ध करने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि किन –किन को भोजन कराने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे प्रसन्न होते हैं. आइये जानें!
श्राद्ध में किन–किन को कराते हैं भोजन?
- पितृ पक्ष में पूर्वजों के दिन तर्पण और पिंडदान के बाद श्राद्ध कर्नाचाहिये इस दिन श्राद्ध में गरीब और जरूरत मंद ब्रह्मणों को भोजन अवश्य करना चाहिए. इससे पितर अति प्रसन्न होते हैं.
- श्राद्ध का भोजन भांजों और्पूज्यों को जरूर करना चाहिए.
- श्राद्ध में भोजन कोवों को भी खिलाना चाहिए. मान्यता है कि इनके माध्यम से भोजन पितरों तक पहुँचता है.
- श्राद्ध का भोजन घर की छत पर पक्षियों के लिए भी रखें.
- श्राद्ध के दिन जानवरों को रोटी और चारा जरूर खिलाना चाहिए.
- पितृ पक्ष में भिक्षा मांगने वालों को विशेष ध्यान रखना चाहिए, उन्हें निराश नहीं करना चाहिए और उचित दान आदि देने का प्रयास करना चाहिए.
- श्राद्ध का भोजन गाय. कुत्ते और कौवे को जरूर खिलाना चाहिए.