Pitru Paksha 2021: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष काल मंकी जाने वाली श्राद्ध का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. पराशर ऋषि ने श्राद्ध के बारे में कहा है कि देशकाल परिस्थिति के अनुसार, पितरों के आत्मा की शांति के लिए श्रद्धापूर्वक जो कर्म काला, तिल, जौ और कुश (दर्भ) के साथ मन्त्रों के द्वारा किया जाए वही श्राद्ध है.
पुराणों के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति की प्राप्ति के लिए विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है, उसे ही श्राद्ध कहते हैं{श्र्द्धार्थमिदम श्राद्धम}. इसे पित्रियज्ञ भी कहते हैं.
ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, पितर श्राद्ध से तृप्त होकर श्राद्धकर्ता को दीर्घ आयु होने, वंश-वृद्धि, धन, विद्या, राज्यसुख एवं मोक्ष का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
ऐसे करें श्राद्ध, तृप्त होंगे पितर
हिंदू धर्म शास्त्रों व पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, यदि श्राद्धकर्ता के पास, धन, वस्त्र एवं अन्न का अभाव हो तो उसे गौ {गाय} को शाक (साग) खिलायें. ऐसा करके भी श्राद्ध कर्म की पूर्ति की जाने की मान्यता है. कहा जाता है कि इस प्रकार का श्राद्ध-कर्म एक लाख गुना फल प्रदान करता है.
पुराणों के अनुसार, यदि आपके पास शाक लेने के लिए भी धन नहीं है तो खुले स्थान में खड़े होकर दोनों हाथ ऊपर उठाकर पितृ गण के प्रति इस प्रकार कहें.
“हे मेरे समस्त पितृगण! मेरे पास श्राद्ध के निमित्त न धन है, न धान्य है, आपके लिए मात्र श्रद्धा है, अतः मैं आपको श्रद्धा-वचनों से तृप्त करना चाहता हूं. आप सब कृपया तृप्त हो जाएं.” ऐसा करने से भी श्राद्ध कर्म की पूर्ति कही गई है.
पितरों की प्रार्थना
- ॐ नमो व:पितरो रसाय नमो व: पितर: शोषाय नमो व:पितरो जीवाय नमो व: पीतर:स्वधायै नमो व: पितर:पितरो नमो वो गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।।”
- पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।।