Pitru Paksha Panchbali Bhog: हिंदू धर्म में श्राद्ध (shradh in hindu dharam) का काफी महत्व है. पंचाग के अनुसार अश्विन मास (shradh in ashwin month) के साथ ही श्राद्ध की शुरुआत हो जाती है. इस साल 20 सितंबर से श्राद्ध आरंभ (pitru paksha starting from 20th september) हो रहे हैं. इन्हें पितृ पक्ष भी कहते हैं. पितृ पक्ष (pitru paksha) में पतिरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. कहते हैं कि पितृ पक्ष में पंचबली भोग का कर्म हर किसी को अपने पितरों के लिए करना जरूरी होता है. कहते हैं कि अगर श्राद्ध के दिनों में पंचबली भोग (panchbali bhog) नहीं लगाया तो पितर नाराज होकर भूखे चले जाएंगे. और ऐसे में आत्मा भूखी रह जाएगी. ऐसी मान्यता है कि पंचबली भोग से प्रसन्न होकर पितर अपने वंशजों को खूब आर्शीवाद देते हैं. आइए जानते हैं पंचबली भोग क्या होता है और इसे कैसे करना चाहिए.


क्या होता है पंचबली भोग (what is panchbali bhog)
धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों के साथ 5 विशेष प्राणियों को श्राद्ध का भोजन कराए जाने का नियम है. कहते हैं कि अगर पितृ पक्ष में इन्हें भोजन कराया जाता है, तो पितर इनके द्वारा खाए अन्न से तृप्त हो जाते हैं. इनमें वो 5 जीव हैं- 


1. गौ बलि- पितृ पक्ष में पहला भोग पवित्रता की प्रतीक गौ माता को खिलाना चाहिए. गौ माता के भोग लगाते समय मंत्र का स्मरण करना चाहिए. 


2. कुक्कुर बलि- शास्त्रों में वर्णन है कि पितरों का श्राद्ध करते समय दूसरा भोग कुक्कर यानि कुत्ते को खिलाना चाहिए. कुक्कर को कत्तर्व्यष्ठा का प्रतीक माना जाता है. 


3. काक बलि- पंचबली में तीसरा भोग काक यानि कौआ को लगाया जाता है. इनके अन्न खाने से पित्र तृप्त हो जाते हैं.


4. देव बलि- चौथा भोग देवत्व संवधर्क शक्तियों को लगाया जाता है. (इसके लिए ये भोग छोटी कन्या या किसी गाय को खिलाया जा सकता है)


5. पिपीलिकादि बलि- पंचबली में पांचवां भोग चीटियों को लगाया जाता है. ये चीटियां श्रमनिष्ठा और सामूहिकता का प्रतीक हैं. 


कैसे लगाते हैं पंचबली


हर योनि में संव्याप्त जीव चेतना की तुष्टि हेतु भूतयज्ञ किया जाता है. पंचबली भोग लगाने के लिए 5 केले के पत्ते या एक बड़ा पत्तल लें. उसमें 5 जगह भोजन रखें. भोजन में उड़द की दाल की टिक्की और दही रखें. इन्हें पांच हिस्सों में बांट दें और पंचबली भोग गौ, कुत्ता, कौआ, देव और चीटियों को खिला दें. इन सभी जीवों का मंत्र बोलते हुए अक्षत छोड़ते हुए पंचबली समर्पित करें.      


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