Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष का प्रारंभ 10 सितंबर से होगा. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष हो उन्हें पितृ पक्ष में पितृ दोष की शांति के लिए ये उपाय जरूर करना चाहिए. कुंडली में पितृ दोष शांत रहने से घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. धनागमन सुचारू रूप से चलता रहता है.
कुंडली में कैसे बनता है पितृ दोष
ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य और राहू की युति बन रही हो तो कहा जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है. इसके अलावा कुंडली में जब सूर्य राहु का दृष्टि संबद्ध हो तब भी पितृ दोष माना जाता है. सूर्य तथा राहू जातक की कुंडली के जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष एक ऐसा दोष है, जो सब दुखों को एक साथ देने की क्षमता रखता है. यदि कुंडली के पितृ दोष का निवारण न किया जाये तो यह दोष पीढ़ी दर पीढ़ी बना रहता है.
पितृ दोष लगने का कारण
- कुंडली में पितृ दोष लगने के कई कारण शास्त्रों में दिए गए हैं.
- पितरों का विधिवत अंतिम संस्कार और श्राद्ध न होना.
- धर्म का अपमान करना और धर्म के विरुद्ध आचरण करना.
- किसी भी नाग की हत्या करना या किसी से करवाना.
- पितरों को भूल जाना या उनका अपमान करना.
कुंडली के पितृ दोष को दूर करने के उपाय
जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो उन्हें घर की दक्षिण दिशा में अपने पितरों की फोटो लगाएं. उनका नमन वंदन करें और उनकी प्रतिमा पर रोजाना माला चढ़ाकर उन्हें याद करें. ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है. उनका आशीर्वाद मिलने के साथ ही पितृदोष का प्रभाव भी समाप्त होता है.
पितरों की मृत्यु तिथि पर ब्राह्मणों को श्रृद्धापूर्वक भोजन करवाएं. उसके बाद यथा शक्ति दक्षिणा देकर विदा करें.
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