Pitru Paksha 2022 Panchgras Bhog: गरुड़ पुराण में पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करते समय पंच ग्रास निकालने के विधान का विस्तार से वर्णन किया गया है. पितृ पक्ष में परिजन अपने पितरों के नाम तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते हैं. मान्यता है कि इससे पितर अति प्रसन्न होते हैं और परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितरों के इसी श्राद्ध कर्म के अंतर्गत पंचग्रास निकला जाता है जिसका बहुत ही महत्व होता है.


पंचग्रास क्यों निकाला जाता है?


पितृ पक्ष में परिजन जब पितरों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं, तो ब्राह्मणों को भोजन कराने से पहले पंचग्रास भोजन निकाला जाता है. पंचग्रास के तहत श्राद्ध के दिन बने भोजन को पांच पत्तल पर निकालकर इसे पांच स्थान पर रखते हैं. यह पंचग्रास भोजन गाय, चींटी, कौए, देवता और कुत्ते को खिलाया जाता है.


पंचग्रास का महत्व और लाभ


श्राद्ध पक्ष में पंचग्रास का विशेष महत्व बताया गया है. पंचग्रास भोजन निकालने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वह प्रसन्न होकर परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में रोजाना पंचग्रास भोजन निकालना चाहिए. यदि आप रोज नहीं निकाल सकते हैं, तो विशेषकर उस दिन पंचग्रास भोजन जरूर निकालना चाहिए जिस दिन पितरों के नाम पर ब्राह्मणों को भोजन करा रहें हों. इस दिन भोजन को 5 पत्तलों पर निकालकर मंत्रों के साथ संकल्प बोलें. शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध का सही समय दोपहर 12 बजे के बाद होता है. इसके बाद ही ब्राह्राणों को भोजन और तर्पण करना चाहिए.


पंचग्रास निकालनें के नियम


शास्त्रों में पंचग्रास निकालने के नियम बताये गए हैं. इसके अनुसार सबसे पहला ग्रास गाय के लिए निकाला जाता है. इसे गो बलि भी कहते हैं. दूसरा ग्रास कुत्तों के लिए निकाला जाता है. जिसे श्वान बलि कहते हैं. तीसरा ग्रास कौवे के लिए निकाला जाता है जिसे काक बलि कहते हैं.


चौथा ग्रास देवताओं के लिए निकाला जाता है जिसे देव बलि कहते हैं. इसे देवताओं के नाम पर जल में प्रवाहित कर देना चाहिए. पांचवां और अंतिम ग्रास चीटियों के लिए होता है जिसे पिपीलिकादि बलि कहते हैं. पंचग्रास देते समय अलग- अलग मंत्र बोलने का नियम बताया गया है.




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