Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष में तृतीया तिथि का श्राद्ध कल, जानें मुहूर्त और इन 4 चीजों के बिना अधूरा है श्राद्ध कर्म
Pitra Paksha 2022: पितृ पक्ष में तृतीय तिथि का श्राद्ध 12 सिंतबर 2022 को है. आइए जानते हैं तर्पण और श्राद्ध के लिए किन चीजों का होना जरूरी है.
Pitra Paksha 2022 Tritiya Tithi Shradha: पितृ पक्ष में तृतीय तिथि का श्राद्ध 12 सिंतबर 2022 को है. अश्विन कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि के श्राद्ध को तीज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और दान का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं तर्पण और श्राद्ध के लिए किन चीजों का होना जरूरी है.
- अश्विन कृष्ण तृतीय तिथि आरंभ- 12 सितंबर 2022, सुबह 11 बजकर 35 मिनट से
- अश्विन कृष्ण तृतीय तिथि समाप्त- 13 सितंबर 2022, सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक
पितृ पक्ष 2022 तृतीय तिथि श्राद्ध मुहूर्त
- कुतुप मूहूर्त- सुबह 11:58 - दोपहर 12:48
- रौहिण मूहूर्त- दोपहर 12:48 - दोपहर 01:37
- अपराह्न काल- दोपहर 01:37 - दोपहर 04:06
पितृ पक्ष 2022 श्राद्ध सामग्री
पितृ पक्ष में इन चीजों के बिना श्राद्ध और तर्पण करना अधूरा माना जाता है. श्राद्ध कर्म में तिल, कुश, चावल या जौ और तुलसी का होना बहुत जरूरी है.
- कुश - हिंदू धर्म में कुशा (एक विशेष तरह की घास) को बहुत ही पवित्र और शुद्ध माना जाता है. श्राद्ध करते वक्त कुशा से बनी अंगूठी जिसे पवित्री भी कहते हैं, उसे अनामिका उंगली में धारण करने का विधान है. मान्यता है कि इसे धारण करके तर्पण करने से पितर की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुशा के पहले भाग में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और मूल भाग में महादेव निवास करते हैं.
- तिल - बृहन्नारदीय पुराण के अनुसार श्राद्ध पक्ष में और पिंडदान करने में तिल का प्रयोग करने से पूर्वजों को शांति प्राप्त होती है. मान्यता के अनुसार जिन परिजनों की अकाल मृत्यु होती है उनका जल में काले तिल मिलाकर श्राद्ध करने से उन्हें मुक्ति मिलती है. धर्म ग्रंथों के अनुसार तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के पसीने से हुई है.
- तुलसी- तुलसी बहुत पवित्र और पूजनीय है. मान्यता है कि तुलसी की गंध से पितर खुश होते हैं और उनकी आत्मा अनंतकाल तक तृप्त रहती है.
- चावल - पितृ पक्ष में चावल की खीर बनाने की परंपरा है. चावल को धन-धान्य और शीतलता का प्रतीक माना जाता है. कहते है चावल के पिंड इस उद्देश्य से बनाए जाते हैं कि इससे पितरों को शीतलता मिले और लंबे समय तक उनकी आत्मा तृप्त हो. अगर चावल न हो तो जौ के पिंड भी बनाए जाते हैं. जौ को सोने के समान शुद्ध माना गया है.
Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष में किन-किन रूपों में घर आते हैं पितर, इन्हें कभी खाली हाथ न लौटाएं
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.