Pitru Paksha 2023: पितृ तर्पण में भूल से भी न करें इन 5 फूलों का इस्तेमाल, नाराज होकर लौट जाएंगे पूर्वज
Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष 14 अक्टूबर 2023 तक रहेंगे. इस दौरान पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध कर्म में इन फूलों का जरुर उपयोग करें. वहीं कुछ ऐसे फूल है जो श्राद्ध में वर्जित हैं. जानें.
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Pitru Paksha 2023: शास्त्रों के अनुसार पूर्वज गंध रस के तत्व से प्रसन्न होते हैं. श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों का पिंडदान, तर्पण में विशेष तरह के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. इसका नाम है काश का फूल.
कहा जाता है अगर पूजा पाठ में काश के फूलों का इस्तेमाल न किया जाए तो व्यक्ति का श्राद्ध कर्म पूरा नहीं होता. आइए जानते हैं श्राद्ध के लिए काश के फूल का महत्व. इसके अलावा कौन से फूलों को तर्पण और पिंडदान में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
‘काश’ के फूल के बिना अधूरा है श्राद्ध
पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध की पूजा अन्य पूजा पाठ से काफी अलग माना जाता है. इस पूजा में कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि ये पूरी तरह मृत परिजनों को समर्पित होती है. मान्यता है कि श्राद्ध कर्म में कास के फूलों का इस्तेमाल करना चाहिए. इसे पूर्वज प्रसन्न होते हैं. पितृ पक्ष में कास के फूलों का खिलना शरद ऋतु के आगमन और देवताओं-पितरों के धरती पर आगमन का संकेत देते है.
श्राद्ध में इन फूलों का करें इस्तेमाल
पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध पूजा में चंपा, मालती,जूही और अन्य सफेद फूलों का इस्तेमाल किया जा सकता है. तर्पण के दौरान हाथ में जल, काले तिल और इनमें से एक फूल लेकर जल अर्पित करना चाहिए. इससे पूर्वज खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं.
तर्पत में भूल से भी न करें इन फूलों का उपयोग
बेलपत्र, कदम्ब, करवीर, केवड़ा, मौलसिरी और लाल तथा काले रंग के फूल व उग्र गंध वाले श्राद्ध कर्म में पूरी तरह से निषेध हैं. शास्त्रों के अनुसार पितृगण इन्हें देखकर नाखुश होते हैं और बिना अन्न-जल ग्रहण किए अतृप्त होकर लौट जाते हैं. इससे परिजनों को भविष्य में आर्थिक रूप से परेशानी झेलनी पड़ती है. ध्यान रहे कि श्राद्ध पक्ष में तुलसी और भृंगराज के भी इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं.
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