Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में तीसरे दिन का श्राद्ध 20 सितंबर को, गलती से भी न करें ये काम
Pitru Paksha 2024: श्राद्ध शुरू हो चुके हैं. 20 सितंबर को तीसरा श्राद्ध है. इस दिन किन लोगों का श्राद्ध किया जाता है और इसके क्या नियम हैं? आइए जानते हैं.
Pitru Paksha 2024, Day 3 Tarpan: आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक पितृपक्ष चलता है. पितृपक्ष के मौके पर लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं. पितरों का पिंडदान किया जाता है. पितृपक्ष के मौके पर लोगों को खान-पान से अचार-व्यवहार तक पर विशेष ध्यान देना होता है. किसी भी तरह की नई वस्तु को पितृ पक्ष में खरीदना मना होता है. पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) की शुरुआत हो चुकी है. गुरुवार 19 सितंबर, 2024 को पितृ पक्ष का दूसरा दिन है.
वही इसके अगले दिन पितृपक्ष का तीसरा दिन है. जानते हैं पितृ पक्ष के तीसरे दिन क्या करना चाहिए और किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
तीसरे दिन कौन कर सकता है श्राद्ध (Day 3 Tarpan and Shradh)
तृतीया श्राद्ध 2024 उन मृत परिजनों के सदस्य के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि को हुई थी, हालांकि इसमें शुक्ल और कृष्ण दोनों पक्षों की तृतीया शामिल है. तृतीया श्राद्ध को तीज श्राद्ध भी कहा जाता है.
तृतीया श्राद्ध के लिए शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat 20 September 2024)
तृतीया श्राद्ध के लिए तीन शुभ मुहूर्त है. 20 सितंबर 2024, शुक्रवार के दिन कुतुप मुहूर्त की शुरुआत सुबह 11:50 से शुरू होकर दोपहर 12:39 तक है. इसके बाद रौहिण मुहूर्त की शुरुआत दोपहर 12:39 से लेकर 1:27 मिनट तक है. अपराह्न काल का मुहूर्त 1:27 मिनट से शुरू होकर 3:54 मिनट तक है. वही तृतीया श्राद्ध की शुरुआत 20 सितंबर रात के 12 बजकर 39 मिनट पर होगी और वही तृतीया श्राद्ध 20 सितंबर, 2024 की समाप्ति शुक्रवार रात को 9 बजकर 15 मिनट पर होनी है.
तृतीया श्राद्ध पर क्या करें (Kya Karen)
- तृतीया श्राद्ध के मौके पर पितरों का शुभ मुहूर्त में श्राद्ध करें
- तृतीया श्राद्ध को विधिवत करने से सद्बुद्धि के साथ बेहतर स्वास्थ्य भी बना रहता है.
- तीसरे दिन पितरों को गंगाजल, शहद, तुलसी, कच्चा दूध और जौ के मिश्रण से बना जल अर्पित करना चाहिए.
- गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाकर, धूप-बत्ती करनी चाहिए. पितरों को गुलाब के पुष्प और चंदन अर्पित करना चाहिए.
- इसके बाद आपको जहां तक अपने पितरों का नाम याद हो, उन सभी लोगों के नाम का मंत्रोच्चार करना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु और यम की पूजा करने के बाद ही तर्पण करना चाहिए.
- पितरों के नाम के नामोच्चारण के बाद लक्ष्मी जी का ध्यान करें और गीता के तीसरे अध्याय का पाठ करें.
- इसके बाद भोजन को गाय, कौवे कुत्ते और चीटियों के लिए निकाल दें.
- तृतीया श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना पुण्य का काम होता है.
- पितृपक्ष के दिन घर में किसी भी तरह का क्लेश न करें. मांसाहार, प्याज, लहसुन, बैंगन, सफेद तिल, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसों का साग, चना आदि नहीं खाना चाहिए. इस दिन किसी भी तरह के गलत काम करने से बचें.
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