Pitru Paksha 2024: धर्मनगरी काशी (Kashi) में अनेक प्राचीन धार्मिक स्थल हैं. इसी क्रम में वाराणसी में सबसे प्राचीन पिशाच मोचन कुंड (Pishach Mochan Kund) है, जहां जनपद के साथ-साथ बिहार (Bihar), झारखंड (Jharkhand), मध्य प्रदेश (MP), छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत महाराष्ट्र, दक्षिण भारत से लोग अपने पितरों के श्राद्ध (Shradh) के लिए पहुंचते हैं. 


 इस बार पितृपक्ष भाद्रपद के पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima) तिथि को 18 सितंबर से शुरू हो रहा है जो 2 अक्टूबर तक चलेगा. इस दौरान श्रद्धालु अपने पितरों के श्राद्ध के लिए ऑनलाइन बुकिंग का भी सहारा लेने की इच्छा जता रहे हैं.


क्या ऑनलाइन पितरों का श्राद्ध संभव (Can Possible Online Shradh)


वाराणसी (Varanasi) के प्राचीन धार्मिक स्थल के पुजारीयों का  मानना है कि ऐसी पूजन पद्धति में किसी भी प्रकार की आधुनिक व्यवस्था को शामिल नहीं किया जाना चाहिए. क्योंकि इस धार्मिक स्थल का अपना महत्व है. यह प्राचीन कुंड है और यहां पर आकर विधि-विधान से ही पूजन करने के बाद पितरों को मोक्ष प्राप्ति होती है.


काशी के पिशाच मोचन कुंड आने पर ही प्राप्त होता है मोक्ष


वाराणसी के प्राचीन धार्मिक स्थल पिशाच मोचन कुंड पर दशकों से पितृपक्ष पर श्राद्ध पूजन कराने वाले पंडित विश्वकांताचार्य के अनुसार- इस बार बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि वाराणसी के प्राचीन पिशाच मोचन कुंड पर ऑनलाइन बुकिंग के तहत श्राद्ध पूजन की सुविधा है या नहीं. तो हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि अपने सुविधा अनुसार भले ही कोई श्रद्धालु किसी पुजारी के माध्यम से पूजा पाठ संपन्न कर ले. लेकिन यह प्राचीन कुंड है और इसकी अपनी मान्यता है.


यहां से जुड़े अलग-अलग स्थल का अपना महत्व है. धर्म शास्त्रों में लिखी गई बातों को अपनी सुविधा के अनुसार बदल लेना बिल्कुल उचित नहीं. इसलिए पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रद्धालुओं को धर्मनगरी काशी के इस पिशाच मोचन कुंड पर आकर ही श्राद्ध पूजन कराना चाहिए.




पितृपक्ष में 15 दिनों तक उमड़ती है लाखों श्रद्धालुओं की भीड़


काशी के पिशाच मोचन कुंड पर पितृपक्ष के अवसर पर लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है. इस दौरान दूसरे शहरों और राज्यों से भी लोग अपने परिवार के साथ पूर्वजों-पितरों के मोक्ष प्राप्ति की कामना लेकर आते हैं. विधि विधान से बैठकर यहां के पुजारी-महंत और पंडा द्वारा श्राद्ध पूजन कराया जाता है. हर वर्ष यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही है. इस बार 18 सितंबर से शुरू हो रहे पितृपक्ष को लेकर तैयारियां पूरी की जा चुकी है.




ये भी पढ़ें: Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में जन्मे बच्चे क्या अपने ही कुल के पूर्वज होते हैं, अच्छा या बुरा कैसा होता है इनका भाग्य, जानिए
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.