Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष में सभी लोग पितरों (Ancestors) के निमित्त श्राद्ध (Shradh) करते हैं. सनातन धर्म (Sanatan Dharm) में बताया गया है कि श्राद्ध करने से पितृ अपने संतानों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. साथ ही पितरों की मुक्ति और तृप्ति के लिए भी श्राद्ध पक्ष में तर्पण और पिंडदान (Pind Daan) करना जरूरी होता है.


पितृपक्ष का समय चल रहा है और ऐसे में इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वीडियो वायरल (Viral Video) हो रहा है, जिसे विकास मोहता (Vikas Mohta) नाम के यूजर ने अपलोड किया है. यूजर्स ने आचार्य दिनेश सेमल्टी जी का एक वीडियो डाला, जिसमें वे बहुत स्पष्ट और सटीक तरीके से श्राद्ध के महत्व को समझाते हैं और यह भी बताते हैं कि DNA से कैसे जुड़ी होती है वंश की परंपरा-






DNA का मतलब क्या है?


चिकित्सी क्षेत्र में डीएनए का फुलफॉर्म डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड है, जोकि शरीर में पाया जाने वाला ऐसा अणु होता है, जिसमें आनुवांशिक जानकारियां होती हैं. लेकिन बात करें वायरल वीडियो की तो इसमें आचार्य दिनेश सेमल्टी डीएन को वंश से जोड़ते हुए बताते हैं कि-


'पिता वै जायते पुत्रो।
यानि पिता ही पुत्र बनकर पैदा होता है. इसलिए पुत्र तत्त्व रूप में पिता ही है. इसी का नाम डीएन है. इसमें D का अर्थ होता है दादा, N का अर्थ होता है नाना, और A यानी आत्मा है. इसलिए सभी के शरीर में माता और पिता दोनों के गुण होते हैं. इसलिए जब तक जीवन है तबतक पितरों का श्राद्ध करना चाहिए.


दिनेश सेमल्टी जी आगे कहते हैं- सनातन धर्म में कहा गया है कि पिता पुत्र देता है, दादा पौत्र देता है और परदादा सुख-संपत्ति देते हैं. पितरों की कृपा से ही व्यक्ति को संसार में कीर्ति यश-प्राप्त होती है.


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