Pitru Paksha 2022, Dwadashi Shradha: पितृ पक्ष समाप्त होने में अब कुछ ही दिन शेष रह गए है. अगर किसी कारणवश पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर उनका श्राद्ध करना रह गया है तो पितृ पक्ष के आखिरी दिन यानी की महालया अमावस्या पर पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट कर सकते हैं. महालया अमावस्या 25 सितंबर 2022 को है. इसे सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है. पितृ पक्ष द्वादशी श्राद्ध 22 सितंबर 2022 को किया जाएगा. इस दिन सन्यासियों के श्राद्ध करने का भी विधान है. पितरों की शांति के लिए शास्त्रों में कुछ महत्वपूर्ण वस्तुएं बताई गई हैं जिससे घर में सुख-शांति आती है साथी है पितर संतुष्ट होते हैं.


पितृ पक्ष द्वादशी श्राद्ध 2022


अश्विन कृष्ण द्वादशी तिथि शुरू - 21 सितम्बर 2022, रात 11:34


अश्विन कृष्ण द्वादशी तिथि समाप्त - 23 सितम्बर 2022, सुबह 01:17


पितृ पक्ष इन 3 चीजों से पाएं पितरों का आशीर्वाद


जल


श्राद्ध की कोई भी प्रक्रिया चाहे वो पिंडदान हो या फिर तर्पण जल के बिना संभव नहीं. तर्पण करते वक्त अंजुली में जल लेकर पितरों को समर्पित किया जाता है. मान्यता है इससे पितर तृप्त होते हैं. 16 श्राद्ध में पीपल को जल चढ़ाने से पितृ दोष समाप्त होता है.


कुश


कुश एक प्रकार की घास होती है जिसे शास्त्रों में बेहद पवित्र माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुश के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और अग्रभाग में शिव वास करते है. कुश में अमृत का वास माना जाता है. कहते हैं तर्पण करते वक्त जब कुश के अग्र भाग से जल की बूंदें गिरती हैं तो उसमें मौजूद अमृत तत्व भी पितर ग्रहण करते हैं. यही वजह है कि उन्हें संतुष्टि प्राप्त होती है.


काला तिल


पितरों की उपासना के लिए काले तिल का उपयोग किया जाता है। काला तिल भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है. पितृ पक्ष में जल में काला तिल मिलाकर भगवान शिव को अर्पित करने से दरिद्रता का नाश होता है. काले तिल के दान से पूर्वज अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.


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