हिंदी पंचांग का आश्विन मास कक्रिष्ण पक्ष पितरों को समर्पित होता है इसे समय को पितृ पक्ष कहते हैं. यह पक्ष विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति व तृप्ति के लिए होता है इसमें लोग अपने पूर्वजों के नाम तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं. माना जाता है कि पितर इस समय धरती पर आते हैं और किसी न किसी प्रकार से अपने वंशज के यहां पहुंचते हैं. यदि वे वहां तृप्त होते है तो उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं. परंतु जो लोग तर्पण, श्राद्ध या पिंडदान नहीं करते हैं. उनसे पितृ नाराज होकर जाते है तो उन्हें शाप मिलता है और वे पितृ दोष के भागीदार होते हैं. इसके अलावा जिन लोगों के कुंडली में पितृ दोष है उन्हें पितृ पक्ष में ये उपाय जरूर करने चाहिए. पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
पितृ दोष से मुक्ति के उपाय
- पितृ पक्ष में प्रतिदिन अपने पितरों का तर्पण करना चाहिए. जल, जौं और काले तिल समेत पुष्पों के साथ तर्पण करने पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है.
- पितृ पक्ष में उनकी मृत्यु तिथि पर उनके नाम श्राद्ध करना चाहिए. इसमें पूर्वजों की पसंद का खाना बनाकर किसी ब्राह्मण को भोजन जरूर कराना चाहिए. इससे पित्तरों का आशीर्वाद मिलता है.
- पितृ पक्ष में पित्तरों के नाम पर श्रीमद् भागवत कथा, गीता, गरूड़ पुराण, नारायण बली, त्रिपिंडी श्राद्ध या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना उत्तम माना गया है. ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
- पितृ पक्ष में नियमित रूप से प्रतिदिन पीपल या बरगद के पेड़ पर जल और काला तिल चढ़ाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
- पितृ पक्ष में गया जाकर अपने पूर्वजों या पितरों के नाम श्राद्ध या पिण्ड दान करना चाहिए. इससे पितृ शांत होते है और पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है.
- पितृ पक्ष में पंचबली की श्राद्ध करनी चाहिए. इसमें गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चींटी को भोजन कराना चाहिए.