हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. भाद्रपद की पूर्णिमा एवं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष कहलाता है. इसमें मृत पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है.
श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से किया गया कार्य. पितृ पक्ष के 16 दिनों पर लोग अपने पितरों यानि पूर्वजों को जल देते हैं और उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं. इस साल 2 सितंबर से 17 सितंबर तक पितृपक्ष रहेंगे.


मान्यता है कि पितृपक्ष में पितृलोक से पितर धरती लोक में आकर अपने घर के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं. पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान भी किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार मनुष्य जीवन में तीन ऋण 'देव ऋण', 'ऋषि ऋण', और 'पितृ ऋण' मुख्य हैं. इनमें से देव ऋण यज्ञादि द्वारा, ऋषि ऋण स्वाध्याय और पितृ ऋण को श्राद्ध द्वारा उतारा जाता है.


पितृ पक्ष में पितरों के खुश करने के लिए इन चीजों का करें दान


1. गाय- मान्यताओं के अनुसार गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है. पितृ पक्ष में गाय का दान हर सुख देने वाला माना गया है.

2. तिल- श्राद्ध कर्म में तिल का विशेष महत्व है. काले तिलों का दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है.

3. घी- गाय का शुद्ध घी एक कटोरे में रखकर दान करना मंगलकारी माना जाता है.

4 . अनाज- अन्नदान को महादान भी कहा जाता है. गेहूं, चावल का दान करना चाहिए।

5. भूमि- अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो पितृ पक्ष में किसी कमजोर या असहाय व्यक्ति को भूमि का दान कर सकते हैं. अगर यह संभव ना हो तो मिट्टी के कुछ ढेले को दान करने की थाली में रख सकते हैं.

6. वस्त्र- वस्त्रों के दान में धोती और दुपट्टा का महत्व है. वस्त्र नए और साफ होने चाहिए.

7. सोना- सोने का दान घरेलू कलह का नाश करता है. अगर यह सोने का दान संभव ना हो अपने आर्थिक हैसियत के अनुसार धन दान कर सकते हैं.

8. चांदी- पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत प्रभावकारी माना गया है।

9. गुड़ और नमक का दान- गुड़ और नमक का दान पितरों की प्रसन्नता के लिए बहुत महत्व रखता है.

10. सभी दान को शुद्ध मन से संकल्प सहित करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.