बुध देव बुद्धि और व्यवहार के प्रमुख ग्रह हैं. बुध देव ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी यानि 2 जून 2021 बुधवार को वृष राशि में रात्रि 2 बजकर 12 मिनट से वक्री हो जाएंगे. बुध वक्री होने के बाद 4 जून को पश्चिम में अस्त हो जाएंगे. बुधदेव वक्री औ अस्त की अवस्था में कम प्रभावशील माने जाएंगे. ज्योतिष के अनुसार ऐसे में देश और समाज में व्यवहारिकता और तार्किकता की कमी देखने में आ सकती है. वाणिज्यिक गतिविधियों में अचानक बदलाव अनुभव हो सकते हैं. ऐसे में सभी को कार्य व्यापार में ‘जीरो एरर‘ पॉलिसी पर कार्य करना चाहिए. 


बुधदेव 11 जून को रात्रि 3 बजकर 30 मिनट पर मार्गी होंगे. 20 जून को बुधदेव उदय होंगे. बुधदेव के मार्गी होते ही देश दुनिया में कारोबारी और अन्य बौद्धिक गतिविधियों में गति आना आरंभ हो जाएगा. बुधदेव अपनी नीच राशि मीन में वक्री होंगे. बुधदेव की प्रसन्नता के लिए भगवान गणेश की पूजा करना प्रभावी होगा. हरी वस्तुओं के दान और उपयोग से बुधदेव का प्रभाव सकारात्मक रहेगा. ओम् बुं बुधाय नमः का जाप भी करना श्रेष्ठ रहेगा.


बुधदेव कुमार ग्रह माने जाते हैं. जेंडर से मुक्त माने जाते हैं. नीच राशि में उलटी चाल के प्रभाव से वृष, मिथुन, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और कुंभ राशियांे के लिए प्रभावित बनी रहेगी. मेष, सिंह, तुला, धनु और मीन राशि वालों को सतर्कता बरतने की सलाह है. बुधदेव की सकारात्मकता और बल वृद्धि के लिए तांत्रिक मंत्र ओम् ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः का जाप 9000 के गुणित में 3 बार कर सकते हैं. साबुत मूंग का दान करने से भी लाभ होगा.